आदरणीय साहित्य प्रेमियो,
सादर अभिवादन ।
पिछले 101 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :
"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-102
विषय - "चुनावी वादे / चुनावी घोषणाएं"
आयोजन की अवधि- 12 अप्रैल 2019, दिन शुक्रवार से 13 अप्रैल 2019, दिन शनिवार की समाप्ति तक
(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)
बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.
उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --
तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)
अति आवश्यक सूचना :-
रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.
आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.
इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 12 अप्रैल 2019, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.
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स्वार्थी राजनीति का खेल बयां करती बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सुशील सरजी ।
महादान
......
वे,
आ गए! फिर,
हाथ फैलाए।
हर बार की तरह कहते हैं,
बोट दे दो,
हम, तुम्हें देंगे.. ..
चलने को ‘चाॅंदी’ की सड़कें
और,
रहने को ‘सोने’ के घर।
इतना ही नहीं ! वे,
यह भी दावे के साथ कहते हैं,
कि हम,
तुम सभी को,
‘स्वर्गिक आनन्द’ की अनुभूति भी कराएंगे।
करोड़ों और अरबों की सपत्ति के स्वामी,
ये!
यह कभी नहीं कहते कि,
यह सभी सुविधाएं वह अपनी ‘संचित’ सम्पत्ति से उपलब्ध कराएंगे,
या
हमारे ही द्वारा दिए गए टैक्स से,
मिलने वाले अपने वेतन और भत्तों को न लेकर,
देश की जनता की सेवा में ही समर्पित करेंगे।
हम! फिर भी नहीं चेतेंगे।
मृगजल से प्यास बुझाने,
बार बार भटकेंगे। और ये!
हमें ‘‘महादानी’’ घोषित कर,
हमारी ही गर्दन पर सवार हो
पेट में लात मारेंगे।
और हम!
चंद टुकड़ों के बदले
पूछ हिलाते अपनी वफादारी.. ..
सतत निभाएंगे!!!
मौलिक व अप्रकाशित
वाह आदरणीय टी.आर. शुक्ल जी ... प्रदत विषय को सार्थक करती इस सुंदर प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई।
आदरणीय Dr T R Sukul जी बहुत बहुत बधाई बहुत सुन्दर रचना मोहतरम
हमें ‘‘महादानी’’ घोषित कर,
हमारी ही गर्दन पर सवार हो
पेट में लात मारेंगे।
और हम!
चंद टुकड़ों के बदले
पूछ हिलाते अपनी वफादारी.. ..
सतत निभाएंगे!!!...........वाह ! सत्य कहा है साहब.
आदरणीय टी आर शुक्ल साहब सादर, प्रदत्त विषय पर खूब करारा अतुकांत रचा है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर.
जनाब सुकुल जी आदाब,प्रदत्त विषय पर अच्छी रचना हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
आद० सुकुल जी आपने इस बीमार सिस्टम पर बहुत अच्छा कटाक्ष किया है सच में हम आमजन मूर्ख बनते आ रहे हैं जब तक हम सब एक जुट होकर आवाज़ नहीं उठाएंगे हम यूँ ही लुटते रहेंगे और कुछ नहीं कर पायेंगे ये देखिये एक एक नेता की अरबों खरबों की संपत्ति कहाँ से आ जाती है कुछ ही सालों में ?
बहुत बहुत बधाई इस सारगर्भित रचना पर |
लोकलुभावनी योजनाओं के प्रलोभन में फसती जनता को बयां करती बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सुकुल सरजी ।
सुनने में लगते हैं अच्छे
लेकिन होते कितने पक्के?
आज भरोसा कर भी लें तो
कल मिलने हैं खाली धक्के
नीयत जिनकी ठीक नहीं हो
वे ही तो बातों में आते।
ठेठ चुनावी वादे-सी है
बात तुम्हारी मानूँ कैसे?
हाठ सजा है देखो भाई
मुफ्त मिलेंगे तुमको सपने।
दाना देख बहक ना जाना
जाल शिकारी डाले बैठे।
जिगर परिंदा जरा सँभालो
तीर जुबाँ के चलते तीखे।
मौलिक अप्रकाशित
वाह आदरणीय सतविन्द्र राणा जी ... प्रदत विषय को सार्थक करते बेहतरीन सृजन के लिए दिल से बधाई।
आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी हार्दिक बधई प्रस्तुत पर
ठेठ चुनावी वादे-सी है
बात तुम्हारी मानूँ कैसे?..........वाह ! खूब.
आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सादर, प्रदत्त विषय पर सुंदर प्रस्तुति है आपकी. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर.
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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