For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

Views: 25177

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

जनाब मिर्ज़ा जावेद  साहब पिछले कुछ आयोजनों से आपकी गज़ल पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ आपके अशआर गज़ल की चाशनी में डूबे हुये से होते हैं ......एक और शानदार प्रस्तुती के लिए दिली मुबारकबाद ......

मुहतरम जनाब नादिर ख़ान साहिब आदाब, 

तालिब इल्म की बेपनाह हौसला अफ़ज़ाई की आपकी इस

ख़ूबसूरत दाद ने दिल की अमीक़ गहराइयों से शुक्रिया अदा करता हूं 

उम्दा ग़ज़ल है आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग साहब। हर शेर ख़ूबसूरत। दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

जनाब महेंन्द्र कुमार जी आदाब, 

सुख़न नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया 

आदरणीय  जावेद मिर्जा साहब अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ । मकता बहुत अच्दा लगा

जनाब रवि शुक्ला जी आदाब ,

सुख़न नवाज़ी का शुक्रिया 

आदरणीय मिर्ज़ा साहब, एक ही साँस में जब कोई गजल पढ़ी जाती है तब ही मेरा दिल उसे अच्छी गजल कहता है। आपकी गजल में भी वही बात है। बेहतरीन गजल के लिए मुबारकबाद।

जनाब अरूण कुमार जी आदाब, 

इस बहतरीन अंदाज़ में हौसला अफ़जा़ई करने के लिए दिली शुक्रिया 

//ज़ख़्म इतने लगा गया है मुझे ।
*पैकर ए ग़म बना गया है मुझे ।// क्या कहने हैं, वाह वाह वाह।  

//*बर्फ़ जैसा पिघल न जाऊं कहीं!
*धूप वो फिर उढा़ गया है मुझे!// धूप के ओढ़ाने का ख्याल पसंद आया. 

//*बे, छुपा कर वफ़ा के चहरे में ।
*फ़न वो अच्छा दिखा गया है मुझे !// बहुत खूब. 

//*बात दिल की तो उसने की ही नहीं!
*सिर्फ़ क़िस्से सुना गया है मुझे!// वाह, ऐसा भी होता है। सब कुछ कहा जाता है मगर दिल की बातें दिल में ही रह जाती हैं।  


//*इक नज़र बस करम की मांगी थी!

*कितने वादे थमा गया है मुझे!// रिवायती रंगत का ये शेअर भी उम्दा हुआ है. 

//*बेवफ़ाई भी उसकी भाने लगी ।

*रास इतना वो आ गया है मुझे!// लजवान शेअर हुआ है।  

//*वो सितम पर है इतना आमादा ।

*ख़्वाब में भी रुला गया है मुझे ।// क्या कहने हैं, वाह वाह। 

//*ज़ब्त करना भी सीखना है अब!

*"सब्र करना तो आ गया है मुझे!"// बाकमाल गिरह लगाई है, मज़ा आ गया।  वाह।  

//*मैं हूँ हस्सास किस क़दर "मिर्ज़ा!

*ग़म ज़माने का खा गया है मुझे!//

अय हय हय !!! क्या मुलायमियत है साहिब! इस मुरस्सा कलाम पर मेरी ढेरों ढेर मुबारकबाद क़बूल करें भाई मिर्ज़ा जावेद बेग जी।   

मुहतरम जनाब योगराज प्रभाकर जी आदाब ,

जिस तरह आपने मतला ता मक़ता एक एकएक शैर पर

दाद ओ तहसीन से नवाज़ा है यक़ीनन मुझ जेसे तालिब 

इल्म के लिए बाइस ए फ़ख्र है 

आप जेसे अकाबेरीन का हाथ जब हम जेसे नौमश्क 

तालिब इल्मों के सरों पर रखा जाता है तो तमाम दुश्वारियां 

आसानियों में तबदील हो जाया करती हैं मार्ग दर्शन ओर महब्बत 

भरा आशिर्वाद बनाए रखिएगा बहुत बहुत शुक्रिया 

जनाब मिर्ज़ा जावेद बेग साहब ..क्या खूब अशआर कहे हैं ..मतले से लेकर मकते तक उम्दा ही उम्दा ...दिली दाद कबूल फरमाएं|

बहुत बहुत शुक्रिया मुहतरम राना प्रताप साहिब जी, 

आपकी ख़िदमत में आदाब पैश करते हुए इस बहतरीन दाद के लिए 

तह् दिल से शुक्रिया अदा करता हूं 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
10 hours ago
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"बदलते लोग  - लघुकथा -  घासी राम गाँव से दस साल की उम्र में  शहर अपने चाचा के पास…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"श्रवण भये चंगाराम? (लघुकथा): गंगाराम कुछ दिन से चिंतित नज़र आ रहे थे। तोताराम उनके आसपास मंडराता…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद।"
23 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय ज़ेफ जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"//जिस्म जलने पर राख रह जाती है// शुक्रिया अमित जी, मुझे ये जानकारी नहीं थी। "
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी, आपकी टिप्पणी से सीखने को मिला। इसके लिए हार्दिक आभार। भविष्य में भी मार्ग दर्शन…"
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"शुक्रिया ज़ैफ़ जी, टिप्पणी में गिरह का शे'र भी डाल देंगे तो उम्मीद करता हूँ कि ग़ज़ल मान्य हो…"
yesterday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. दयाराम जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास रहा। आ. अमित जी की इस्लाह महत्वपूर्ण है।"
yesterday
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. अमित, ग़ज़ल पर आपकी बेहतरीन इस्लाह व हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिय:।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service