आदरणीय लघुकथा प्रेमिओ,
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सम्प्रदायिक वैमनस्य ने कई लोगों के दिलों से इंसानियत को हटा दिया है, समाज के इस घृणित रूप पर प्रहार करती रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीय विनय कुमार जी सर|
इस मर्मस्पर्शी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय विनय जी, सादर!
वाह्ह्ह वाह देर आयद दुरुस्त आयद अपनी ही करनी ने नायक को सुधार अथवा प्रायश्चित करने का अवसर दे दिया अपने व्याख्यान में कही बात ने आत्ममंथन करने पर मजबूर कर दिया |बहुत खूब मेरी हार्दिक बधाई लीजिये सुनील भैया |
भाई सुनील वर्मा जी, अच्छी लघुकथा है जोकि एक सार्थक सन्देश भी देती है। बीच में लगा था कि लघुकथा "कथनी-करनी" के घिसते पिटे ढर्रे की तरफ अग्रसर हो रही है, किन्तु उसको एक सुंदर सा मोड़ देकर उत्तम तरीके से समाप्त किया। बहुत बहुत बधाई प्रेषित है।
(खाधान्न = खाद्यान्न, गाढ = गाड़)
हम लोगों की सच में एक बहुत ही शर्मनाक आदत को आपने अपनी कथा का विषय बनाया है , कही पढ़ा था कि पाकिस्तान में कैसा भी आयोजन हो , एक से अधिक डिश बनवाना कानूनन अपराध है यहाँ तो सीख ले ही सकते हैं उनसे .. सहज ढंग से कहे गए सशक्त कथ्य हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय सुनील जी
पाकिस्तान में यह क़ानूनन अपराध बेशक है आ० प्रतिभा पांडेय जी, लेकिन वहां के राजनेता तक इसका पालन नहीं करते। मेरे बहुत से पाकिस्तानी दोस्त हैं उन्होंने बताया कि यह क़ानून सिर्फ किताबों तक ही महदूद है। इसका याद कदा उपयोग वहाँ के गरीबों या अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिए अवश्य किया जाता है। वैसे क़ानून एक नहीं दो डिश का है वहाँ।
जनाब सुनील वर्मा साहिब , प्रदत्त विषय को परिभाषित करती तथा सीख देती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
अन्न बचाने का सार्थक संदेश देती हुई उम्दा रचना . शुरुवात खुद से ही हुआ करती है.. बहुत अच्छी . बधाई प्रेषित है .
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