आदरणीय साथिओ,
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' उजाले की ओर'
" क्यों शर्मा जी ,हम आये और आप उठ कर चल दिएI "
" ऐसा कुछ नहीं है माजिद भाई , चाय ख़त्म हो गई अब बैठ कर क्या करें I"
" तो क्या हुआ , एक चाय और सही I कल रात रैली में आप भी तो खूब चिल्ला रहे थे, गला बैठ गया होगाI"
" देखिये i हम क्या करते हैं इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है आपको "I
" बिलकुल है , आप मित्र हैं हमारे बचपन के और अगर गलत लोगों के साथ उठेंगे बैठेंगे तो हमारी फ़िक्र वाजिब है I आपकी माताजी को हम मौसी कहते थे , ये तो पता ही है आपको "I
" और उस रिश्ते की आपने कितनी लाज रखी है i जिन लोगों के साथ आजकल आप दिखते हैं , जिनकी तोड़ने वाली बातों का आप विरोध नहीं करते हैं ..अगर आपकी अम्मी और हमारी माँ आज जिन्दा होती तो क्या उन दोनों को ये अच्छा लगता I "
" अंकल हमने स्कूल में क्राफ्ट में मोमबत्तियां बनाई हैं I इनको बेचकर जो पैसे मिलेंगे वो अनाथालयों के लिए भेजे जायेंगे I प्लीज खरीद लीजियेI " स्कूल के दो तीन बच्चे चाय की दुकान में आ गए थे I
" अरे क्या i ये स्कूल वाले भी आज कल बच्चों को कहाँ कहाँ लगा देते हैं I" शर्मा जी चिढ कर बोले I
" रुकना बच्चे , इधर आ .ला दो मोमबत्तियां दे दे I" चाय वाला जेब में हाथ डालते बोलाI
"तू क्या करेगा इनका? कैंडल लाइट डिनर पर ले जाएगा क्या घरवाली को? माजिद भाई की बात पर शर्मा जी भी खिल खिला पड़े I
" आप लोगों के लिए ले रहा हूँ I" चाय वाले की आवाज गहरी थी I
" अब ग्यानी जी ये भी बता दें आप कि हमें इनकी क्यों जरूरत है I" शर्मा जी मुस्कुराते हुए चाय वाले को देख रहे थे I
"मेरी तो आँखें दो भाइयों को अलग करने की चालो को देख पा रही हैं पर आप दोनों नहीं देख पा रहे हैं I इसीलिए मैंने आप दोनों के लिए ये ..I" उसकी बात पूरी होने से पहले माजिद भाई ने बढ़कर उसके हाथों को पकड़ लिया I
" बस ..बस I" वो भरे गले से बोले I
मौलिक व् अप्रकाशित
रचना अच्छा सकारात्मक सन्देश प्रेषित करती हुई है... बधाई आपको... थोड़ी उपदेशात्मक है लेकिन मज़ा आया पढने में
वाह वाह !! इस आयोजन की बेहतरीन रचनाओं में से एक है आपकी यह लघुकथा आ० विनोद कुमार पाण्डेय जीI सन्देश इतना शक्तिशाली है कि पढ़कर मन प्रसन्न हो गयाI इस लाजवाब कृति पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करेंI
वाह | बहुत सुंदर और सार्थक सन्देश देती हुई आपकी यह कथा बेहद उम्दा बन पड़ी है | हार्दिक बधाई आदरणीय |
हार्दिक बधाई आदरणीय प्रदीप कुमार जी ।बेहतरीन प्रस्तुति ।
आदरणीय प्रदीप जी, आपने प्रदत्त विषय के अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है. अपने शीर्षक को सार्थक करती इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर
आ.प्रदीप कुमार पांडे जी शीर्षक को सार्थक करती इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है. प्रणाम
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