आदरणीय साथिओ,
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या शायद भीम का।
हिडिम्बा नामक असुर कन्या के उदर से उत्पन्न वीर घटोत्कच, भीम का ही पुत्र था भाई सुरेन्द्र इंसान जी.
जी तो वह दौपदी स्वयंवर में केशे उपस्थित हो सकता है जैसा कि इस रचना में कहा गया । दौपदी स्वयंवर में शायद द्रोपदी ने कहा होगा कि कर्ण सूतपुत्र है उर विवाह से इनकार कर दिया।
भाई जी क्षमा सहित . इस टंकण त्रुटी को संकलन में सुधार लेती हूँ. मेरे हस्त लिखित में "धृष्टद्युम्न" ही है .पता नही कैसे इतनी बडे गल्ति कर गई. सादर
आ. सुरेन्द्र इंसान जी .आपने बिल्कुल सही इंगित किया हैं .यह मेरी तंकण त्रुटी है. "धृष्टद्युम्न" की जगह घटोत्कच लिख गई. आपके अत्यंत आभार गल्ति को इंगित करने हेतु. विस्तार से शाम को ६ के बाद लौटूँगी रचना पर. अभी व्यस्तत में आपका नोटीफ़िकेशन मेल पर मिलते ही अपनी गल्ति को त्वरित मान लेना मुझे ज्यादा योग्य लगा.सादर
जी अन्यथा न लीजियेगा। आपने अच्छी रचना की है। बस रचना पढ़ कर मुझे लगा कि कुछ ग़लती हुई है इस लिये आपका ध्यान दिलाना चाहा। सादर जी।
सुंदर रचना के लिए बधाई आदरणीय नयना जी ,सादर
कर्ण के मुख से कहलाये संवाद प्रभावशाली हैं , कथा का ताना बाना मेहनत और कल्पनाशीलता से बुना है आपने .मुझे बहुत पसंद आई आपकी कथा हार्दिक बधाई आदरणीया नयना जी
आदरणीया नयना मैम, महाभारत की पृष्ठभूमि को उठाकर बढ़िया लघुकथा कही है आपने. यदि थोड़ा सा संपादन कर देंगी तो यह और बढ़िया हो जाएगी. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
मुझे आपकी कथा बहुत अच्छी लगी ताई बधाई आपको, विषयाधरित तो है ही साथ भाषा पात्रोचित होने से कथा में चार चांद लग गए हैं। कर्ण महाभारत का एक ऐसा पात्र है जो सब तरह से सुयोग्य होने के बाद भी तिरस्कृत रहा। अपने गुणों के कारण लोकप्रिय भी और गलत निर्णयों के कारण विरोध का पात्र भी हुआ। सच्चे अर्थों में योद्धा होने के बाद भी उन अपराधों का दंड सहा जो उसने नहीं किए थे।
कुलमिलाकर बेहतरीन कथा !! ह्रदय से बधाई।
हार्दिक बधाई आदरणीय नयना जी।बेहतरीन लघुकथा।पौराणिक विषयों पर लिखी लघुकथायें मुझे खास तौर पर पसंद आती हैं।
"लूडो" शब्द देख कर, खेल और खिलाड़ी देख कर दिल ख़ुश हो गया। मोबाइल, क्रिकेट और महंगे गजट से पराजित योद्धा छुट्टी के दिन पराजित होते -होते आखिर जीत ही गये। कौन कहता है कि इन छुट्टियों में समाधान नहीं निकाले जा सकते? जहां चाह वहां राह! पराजित योद्धा की तरह जीवन जीने से क्या फायदा। समसामयिक जीवन शैली पर कटाक्ष करते हुए बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सुनील वर्मा जी।
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