For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-48

परम आत्मीय स्वजन,

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 48 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा-ए-तरह अज़ीम शायर अल्लामा इकबाल की ग़ज़ल से लिया गया है| पेश है मिसरा-ए-तरह ........

“हयात सोज़-ए-जिगर के सिवा कुछ और नहीं”
१२१२   ११२२   १२१२   २२/११२
ह/१/या/२/त/१/सो/२/जे/१/जि/१/गर/२/के/२/सि/१/वा/२/कु/१/छौ/२/र/१/न/१/हीं/२
मुफाइलुन  फइलातुन  मुफाइलुन  फेलुन
(बह्र: मुजतस मुसम्मन् मख्बून मक्सूर )
अंतिम रुक्न 112 को 22 भी किया जा सकता है
काफिया: अर (जिगर, नज़र, समर, सफ़र, क़मर, असर, दर, डर, आदि)
रदीफ़: के सिवा कुछ और नहीं

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २७ जून दिन शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक २८ जून दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २७ जून दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13624

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ० भाई सौरभ जी , आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए अत्यधिक महत्व रखती है  l आपका मार्गदर्शन ही मेरी लेखनी में सुधर करता है .जिस शेर ने चकित किया वह तो हसी-ठिठोली में लिख गया था  l आपका स्नेहाशीष मिलता रहे यही कामना है  l

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, उम्दा गज़ल के लिये बधाइयाँ..........

कतीब   काट    रहा   है   कतीब  पर  बैठा
ये आदमी तो कहर के सिवा कुछ और नहीं..................वाह क्या बात है.............

//कतीब   काट    रहा   है   कतीब  पर  बैठा
ये आदमी तो कहर के सिवा कुछ और नहीं //

एक सामयिक शेर प्रस्तुत हुआ है, अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।

चुनाव दौर–ए-समर के सिवा कुछ और नहीं

वतन में आज ग़दर के सिवा कुछ और नहीं

छुपा हुआ वो  मेरा बचपना  सदा जिसमे

मेरे अजीज़ शहर  के सिवा कुछ और नहीं

 

नदी से मिलके समंदर भी हो गया मीठा

ये सोहबतों के असर के सिवा कुछ और नहीं

 

तमाम रात शमा जल गई जो हँस-हँस के   

अदा हसीन हुनर के सिवा कुछ और नहीं

 

कदम- कदम पे यहाँ इम्तहान से गुजरो

हयात सोज़-ए-जिगर के सिवा कुछ और नहीं

 

फ़कत खलिश के ये अखबार और  क्या देते

सितम या मौत खबर के सिवा कुछ और नहीं 

 

जहाँ उतार सकूँ बोझ मैं गुनाहों के

सही जगह तेरे दर के सिवा कुछ और नहीं

तेरा कयास कि सहरा में आबशार दिखें

फ़कत फ़रेब नज़र के सिवा कुछ और नहीं

 

उठाये बोझ सदा और उफ़ कभी न करे

वो मुफ़लिसी कि कमर के सिवा कुछ और नहीं  

 

तमाम उम्र गुजारी ख़जां से लड़-लड़ के

नसीब में तो कहर के सिवा कुछ और नहीं  

पुछल्ला ---

वजूद है न कहीं भूत या चुड़ैलों का

वो रूह में बसे डर के सिवा कुछ और नहीं

.

(मौलिक एवं अप्रकाशित )
संशोधित*

आदरणीया राजेश जी , बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है , पुछल्ला भी बहुत खूब है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

आ० गिरिराज जी आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से आभार आपका |

//तमाम उम्र गुजारी ख़जां से लड़-लड़ के
नसीब में तो सहर के सिवा कुछ और नहीं  //  "ख़जां" और "सहर" - ? ज़रा वज़ाहत फरमाएँ आ० राजेश कुमारी जी.

आ० योगराज जी, आप ने सही पकड़ा दरअसल यहाँ शब्द कहर था लिखते हुए सहर लिखा गया कृपया आप संशोधन कर दीजिये 

और बाकि के अशआर पर भी नजरें डालें प्लीज .

यथा संशोधित

//ये सोहबत के असर के सिवा कुछ और नहीं// क्या कर रही हैं आ० राजेश कुमारी जी ?


//छुपा हुआ वो मेरा बचपना निहाँ जिसके// "छुपा" या "निहाँ" के अर्थ क्या अलग अलग है ?

//सितम या मौत खबर के सिवा कुछ और नहीं//  "मौत खबर ?" ये क्या होती है आदरणीया ? इस तरह  की भाषा क्या ग़ज़ल के मिजाज़ से मेल खाती है ?


//तेरा कयास कि सहरा में आबशारे हैं// "आबशारें" ?? ध्यान रहे कि "आबशार" पुल्लिंग की तरह इस्तेमाल किया जाता है अत:"आबशारें" के प्रयोग पर दोबारा ध्यान देने की ज़रुरत है.     

बहुत- बहुत शुक्रिया आ० इन त्रुतिओं  की तरफ ध्यान दिलाने के लिए..आपसे अनुरोध है  की निम्न संशोधन कर दीजिये यदि उचित लगें तो .. 

ये सोहबत के असर के सिवा कुछ और नहीं/------इसमें क्या गलती है आदरणीय मैं समझी नहीं सोहबत यानी संगत .

सोहबत शब्द भी डिक्शनरी में दुबारा चेक कर लिया है 

छुपा हुआ वो मेरा बचपना निहाँ जिसके-----इसमें निहाँ का अर्थ मैंने 'अन्दर' लिया था   आदरणीय...   छुपा हुआ वो  मेरा बचपना

सदा जिसमे . यूँ करूँ तो क्या सही रहेगा ?

 सितम या मौत खबर के सिवा कुछ और नहीं/-----सितम गिरी की खबर के सिवा कुछ और नहीं .....ये कर सकती हूँ ?

तेरा कयास कि सहरा में आबशारे हैं-----तेरा कयास कि सहरा में आबशार दिखें ----कर सकती हूँ ?

योगराज जी ने निस्‍संकोच जो बताया वो सामान्‍यतय: आपको कोई बतायेगा नहीं। वाह-वाह करना आसान होता है लेकिन ये मार्गदर्शन कम ही मिलता है। यह अवसर है जिसे कल ही एक ऑनलाईन मुशायरे में मैनें कहा कि उस्‍तादाना नज़र की बरदाश्‍त कम होती है। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद में चित्रानुकूल भाव ----- ब्रह्मा जी के आगे कौआ, रोया निज दुख गाया,इस जग में सब करते नफरत,…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, सौरभ साहब, आपने मेरी प्रस्तुति को संस्तुत किया, इसके लिए हृदय से आपका आभारी हूँ, श्री जी।…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपकी प्रस्तुति का स्वागत है, आदरणीयचेतन प्रकाश जी। चित्र के मर्म को आपने समझा, तदनुरूप…"
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद  [ छन्न पकैया ] ++++++++++++++++++   छन्न पकैया छन्न पकैया,क्वाँर मास में…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंदः श्राद्ध पितृ-पक्ष आवश्यक है, उद्धार हेतु आत्मा करें हुतात्मा के हित तर्पण, मिले उन्हें…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
Thursday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service