For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-57 (विषय: औलाद)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-57 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है. प्रस्तुत है:  
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-57
विषय: औलाद
अवधि : 30-12-2019  से 31-12-2019 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं। 
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 4122

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सामना

           

"औलाद हो तो... कैसी?"  यह ध्वनि वातावरण में बार बार गूंज रही थी।प्रतिध्वनित हो रही थी। लोग इधर उधर देखते। पर आवाज किधर से आती, यह पता न चलता।वह कौन था,क्या कहना चाहता था,यह एक अनसुलझा सवाल बना हुआ था।लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी।
एक बार फिर वही आवाज गूंजी। भीड़ से जवाब मिला,
"राम जैसा,....कृष्ण जैसा।"
"क्यों....?"
"क्योंकि एक ने मर्यादा की स्थापना की।दूसरे ने लीलाधर की भूमिका निभाई।लोक मंगल दोनों की करनी के मूल में था।"
"पर अग्नि परीक्षा के बाद सीता का निर्वासन और द्यूत क्रीड़ा के पश्चात द्रौपदी का केश व वस्त्र - कर्षण क्या जायज़ ठहराए जा सकते हैं?"
"नहीं।"
"तो फिर  ...आगे क्या हो? निदान क्या है?"
"......"भीड़ में मौन छा गया।
"औलाद हो तो... कैसी?" वही आवाज एक बार पुनः दिग्दिगंत में गूंजने लगी।लोग किंकर्तव्य विमूढ़ - से एक दूसरे को देख रहे थे।
अचानक भीड़ के एक छोर से आवाज आई,
"औलाद लायक हो.....।"
"मसलन?"वही अदृश्य आवाज पुनः सुनाई पड़ी।
"लायक यानी कर्तव्य निष्ठ हो।भले - बुरे में भेद कर सके।"
"जरा और स्पष्ट करो मेरे भाई लोग।"
"यानी जो काम कर जीविका अर्जन करे।मुफ्तखोरी को मुनाफा नहीं,कोढ़ समझे।"
"और?"
"और क्या?सच समझे और औरों को समझाए भी।"
"मतलब भ्रम से दूर रहे?"
"भटकाव से भी।न भ्रम का साथ दे,न भटकाव का।"
"शाबाश मेरे भाई,शाबाश!तुम लोग ही हमारे आनेवाले कल हो।रोशनी हो,रोब हो।"
"हम समझे नहीं।"भीड़ से आवाज आई।
"यानी भ्रम और भटकाव से मुक्त प्राणी अनवरत अपने गंतव्य की ओर अग्रसर होगा।किसी भी निहित हितवाले का  झंडा वह नहीं थामेगा। लोक हित का नारा बुलंद  करेगा।"
"जय हो।"भीड़ ने जयकारा लगाया।
"आमीन।" आर्ष वाणी धीरे - धीरे अंतरिक्ष में तिरोहित हो गई।
            ***
लघुकथा के बारे में दो शब्द: जिंदगी में यदि भ्रम और भटकाव से मुक्ति रहे,तो व्यक्ति अपनी मंजिल हासिल करने की दिशा में अग्रसर होता है।उपलब्धि हासिल भी करता है। परन्तु, आज के माहौल में तरह तरह से लोगों को भटकानेवाले मिल जाते हैं।भटकनेवाले भी मिल जाते हैं।सत्य और असत्य में फ़र्क करने के पहले ही लोग हाथ में किसी का दिया हुए झंडा उठा लेते है।किसी का उछाला हुए नारा वातावरण में उछालने लगते हैं।मारने मारने पर भी उतारू हो जाते हैं।आर्ष वाणी हकीकत परखने और उसपर अमल करने वालों को प्रेरित करती है,उत्साहित करती है।इसीलिए यह लघुकथा मेरी पसंद की है।
"मौौलिक व अप्रकाशित"

आदरनीय मनन कुमार सिंह जी, सबसे पहले तो आयोजन का शुभारम्भ करने हेतु हार्दिक अभिनन्दन स्वीकार करें. आपकी लघुकथा का विषय और इसके कथानक की ट्रीटमेंट दोनों ही बेहद प्रभावशाली हैं. औलाद कैसी हो, सौ की एक बात आपने कह दी कि - लायक़ हो. लघुकथा मन को छूने वली हुई है, जिस हेतु मेरी हार्दिक बधाई निवेदित है. लघुकथा के बारे में दो शब्द कहने का काम पाठकों पर छोड़ दें, आप स्वयं कोई एक्सप्लेनेशन मत दें.  

आदरणीय योगराज जी,प्रोत्साहन देने हेतु बहुत बहुत आभार निवेदित करता हूं। हां, दो शब्द किसी अन्य मकसद से लघुकथा के साथ जुड़े थे,जो लघुकथा के यहां पोस्ट होने के समय ध्यान में नहीं आए।आग्रह है कि इस मंच के हेतु उन्हें ग्रहण न किया जाय,सादर।

बहुत बढ़िया बात कही है आपने आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। हार्दिक बधाई इस लघुकथा के लिये।

आपका  आभार आदरणीया कल्पना जी।

हमेशा की तरह एक उत्तम साहित्यिक रचना। 

आपका आभार आदरणीय अजय जी।

भ्रम और भटकाव से मुक्त प्राणी ही अनवरत अपने गंतव्य की ओर अग्रसर होगा का संदेश देती बेहतरीन का लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई.

लघुकथा के कथन को उद्धृत करते हुए अपने उद्गार व्यक्ति करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय ओम प्रकाश जी।

आ. भाई मनन जी, बहुत सारगर्भित कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

आपका आभार आदरणीय लक्ष्मण जी।

 जनमानस मे आज भटकाव अधिक है क्यों कि डिजिटल क्रान्ति का समय है।जितनी अधिक जानकारी उतना अधिक भटकाव। आज के माहौल से प्रेरित एक शानदार रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service