For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-78 (विषय: 'विजय)

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-78 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है,
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-78
"विषय: 'विजय'  
अवधि : 29-09-2021  से 30-09-2021 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
.
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 1809

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

स्वागतम 

मैं हारी नहीं हूँ.....


मानवता को शर्मसार करते दुर्व्यवहार से बिन पानी की मछली की तरह तड़पती तीन महीने जीवन-मौत के संघर्ष मे न्याय की गुहार लगाती  सुकन्या ने दम तोड़ दिया। सुकन्या के मां-बाप को जांच-पड़ताल में बेशर्मी भरी बातें बर्दाश्त से बाहर हो रही थी।अदालती कार्यवाही में  सुकन्या के साथ हुये अमानुषी कृत्य करने वालों को दण्ड देना तो दूर बल्कि उसकी बेटी के चरित्र पर लांछन लगाकर अपराधियों को बरी कर दिया गया।
टीवी, अखबारों, लोगों के व्यंग्य वाणों की बौछारों से सुकन्या के मां-बाप का कलेजा चीत्कार कर रहा था। 


सुकन्या के बापू का अंतर्मन धिक्कार रहा था...पुरजोर कोशिश के बाद भी अपनी बेटी को न्याय न दिला सके।


बेटी के गम में बुत बनी सुकन्या की माँ को संभालते हुये सुकन्या के बापू के हारे कदम घर की ओर घिसट रहे थे कि तभी अपनी ओर आते नारे लगाते जुलूस की ओर देखा....लोगों के दबे आक्रोश ने आंदोलन का रूप ले लिया था...महिला ,पुरूष, लड़कियां...चारों दुष्कर्मियों का घेराव कर...सुकन्या के साथ हुये अन्याय के खिलाफ नारे लगाते हुये लाठी-लात-घूंसे बरसाने लगे।और देखते-देखते जन आंदोलन बन गया। 


आक्रोशित जनता की आग्नेय नेत्रों में अपराधियों के प्रति घृणा की चिन्गारी और बुलंद दृढ़ात्मक आवाजों में सुनाई देती सुकन्या की आवाज.. .. बापू !  गुहार दफन नहीं हुई, अभी जिन्दा हैं। 


स्वरचित व अप्रकाशित

आदाब। गोष्ठी के आग़ाज़ में विषयांतर्गत गंभीर रचना हेतु हार्दिक अभिनंदन और बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी। रचना पर हमारी पाठकीय राय शाम तक।

बहुत-बहुत धन्यवाद, सर

चिरपरिचित कथानक, पीड़ा और विडंबनाओं पर आधारित घटनाओं का बढ़िया शिल्प में प्रस्तुतिकरण। लेकिन घटना का विवरण अधिक लघुकथा में कितना उचित? गुरुजन से मार्गदर्शन चाहेंगे।

नमस्कार, आदरणीया! बहुत गम्भीर विषय को उकेरती सार्थक रचना है, आपकी! परन्तु, क्षमा करें, लघुकथा कम रिपोर्ताज ज्यादा प्रतीत हुई! 

आ. बबीता बहन, सादर अभिवादन । अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।

मैं जीत गई
---
सुहाग की सेज पर लाल जोड़े में लिपटी बैठी झुनकी अपने अतीत में खोई हुई है। चेहरे पर घूंघट नहीं है।आज पहली रात अपने साजन को क्या सौगात भेंट करेगी,यह सवाल उसे कुरेदे जा रहा है।मन उद्विग्न है,मस्तिष्क भावशून्य।
मद्धिम ध्वनि के साथ दरवाजा खुला।साजन ने प्रवेश किया। वह नजरें झुकाए रही। दीदार पाकर खुद को धन्य समझ साजन ने उतावली में बत्ती बुझा दी।
'ओह!' झुनकी के मुंह से अनायास ही निकल गया।
'क्या हुआ?'साजन ने सहमते हुए पूछा।
' कु...कुछ नहीं। वह हड़बड़ा गई।
साजन उसके समीप बैठ गया।फिर उसकी स्पर्शजनित ऊष्मा से वह मानो ऊर्जस्वित हो उठी।उसने कहा,
'अंधेरे ने डरा दिया था।'
'अंधेरे से डर लगता है तुम्हे?'
'पहले तो नहीं लगता था,पर आज लगा।'स्वतः उसके मुंह से निकल गया।
'मसलन?' साजन ने कुरेदा।
' ऐं ऐं....अंधेरे में जीना तब मेरी नियति बन गया था।' साजन की मजबूत होती पकड़ उसमें पुनः साहस का संचार करने लगी थी।
'कैसा अंधेरा?कैसी नियति,रानी? मैं कुछ समझा नहीं। खुलकर बताओ। मैं तुम्हारा हूं।तुम भी मेरी हो जाओ।'
' हो चुकी हूं।पर कितना हो सकती हूं,यही दुविधा है।'
'कैसी दुविधा, प्रिये?बोलो तो।'
'साथ दोगे?'
'क्यों नहीं?'
'तो सुनो।'
और उसने अपने अतीत की पोटली अपने पति के सामने खोल दी।ढोंगी बाबा,नशेरी पुजारी, गांव के दल्ले -दलालों और नेता के उसके साथ हुए नंगापन को उसने विस्तारपूर्वक बयां कर दिया। फिर मौन हो गई।
पति की पकड़ ढीली हुई।वह सहम गई।पति बिस्तर से उतरा।बत्ती जलाई।देर तक प्रेयसी के मुख चंद्र को निहारा।फिर बोला, 'चांद का दाग भी पूजनीय है, प्रिये। कल ही अदालत चलेंगे।मुकदमा ठोक देंगे इन कमीनों पर।'
यह सब सुनकर झुनकी साजन का मुखड़ा चूमने लगी।साजन की मजबूत पकड़ उसे अब भाने लगी थी।अनायास ही उसके मुंह से निकला, 'मैं जीत गई।'
"मौलिक व अप्रकाशित"

आदरणीय मनन कुमार सिंह जी बहुत ख़ूब लघुकथा हुई बधाई।

नमस्कार, मनन कुमार सिंह भावपूर्ण लघुकथा है! परन्तु भाव- बोध का पटाक्षेप कथ्य पर होता, कदाचित श्रेयस्कर होता! 

आभार आदरणीय चेतन जी।

आभार आदरणीया रचना जी।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
5 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी ।सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। अच्छी ग़ज़ल हेतु आपको हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए।  ग़ज़ल हेतु बधाई। कंटकों को छूने का.... यह…"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा यादव जी ।सादर नमस्कार।ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।गुणीजनों के इस्लाह से और निखर गई है।"
6 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय euphonic amit जी आपको सादर प्रणाम। बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय त्रुटियों को इंगित करने व…"
6 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से हर बात बताने समझाने कनलिये सुधार का प्रयास…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय, अमित जी, आदाब आपने ग़ज़ल तक आकर जो प्रोत्साहन दिया, इसके लिए आपका आभारी हूँ ।// आज़माता…"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service