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हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन जी बढिया रचना जात-पात के पैमानो पर
जातिवाद के पैमाने पर इंसान को मापना एक ओछी सोच की उपज है। आज समय बदल रहा है। अब ये सब चीजें मायने नहीं रखती है। बेहद दुखद परिस्थियों को बहुत ही संवेदनशीलता से उकेरा है आपने अपनी इस लघुकथा के माधयम से आदरणीय मोहन जी। बधाई स्वीकार करें।
जनाब मोहन बेगोवाल जी , अच्छी एवं सीख देती लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई। ..
आदरणीय मोहन जी जाति पाति को बेहतर ढंग से व्यक्त करती लघुकथा.बधाई.
यह जातिगत समस्याएं इनका जितनी जल्दी अंत हो उतना अच्छा ! सामयिक समस्या को उजागर करती एक अच्छी रचना के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय !
मोहन जी सार्थक विषय उठाया आपने। पर व्यस्तता के चलते बढ़िया समय नहीं दे पाए रचना को।
अगली गोष्ठी में और बेहतर रचना ले कर आएँगे न ?
मैं इंतज़ार करूँगा
मेरी रचना पर राए देने के लिए सभी दोस्तों का बहुत बहुत धन्यवाद, खास तौर पे प्रदीप नील जी की तनकीद का
गल्ल बणी नी बेगोवाल भा जी, स्वाद नी आया सच्चीं I इस कहाणी 'च कोई मोड़-घेड़ देके माड़ी-मोटी जान पाओ मेरी मोतियाँ आळी सरकार I
इस कहाणी 'च कोई मोड़-घेड़ देके माड़ी-मोटी जान पाओ मेरी मोतियाँ आळी सरकार I :-)))))))))))
आज रसोई में सरसों का साग पका है लगता है ,मक्के दी रोटी का असर है ,शायद __/\__/\__/\__
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