For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-91

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 91 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब बहज़ाद लखनवी  साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"जब तक कि ख़ुद को अपनी पहचान हो  जाए  "

221   2122     221      2122

मफ़ऊलु फाइलातुन मफ़ऊलु फाइलातुन 

(बह्र: मुजारे मुसम्मन् अखरब )

रदीफ़ :- हो न जाए 
काफिया :- आन (पहचान, हैरान, इंसान, बेईमान, सामान आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 26 जनवरी दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 27 जनवरी  दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 जनवरी दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 8634

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. मन्जीत जी, सुंदर गजल हुई है , हार्दिक बधाई ।

मुसाफिर साहब, हौसला अफजाई का शुक्रिया
जनाब अहमद साहब , सभी शे'अरों का बारीकी से विशलेषण किया साथ में मशविरा भी पेश किया आप की नेक सलाह का शुक्रिया।

आदरनीया मनजीत जी, बहुत सुंदर अशआर बधाई हो 

तरही गजल
221 2122 221 2122
इंसां किसी गलत का गुणगान हो न जाए
नापाक लफ्ज़ तेरी पहचान हो न जाए

इंसानियत की खिदमत ही फ़र्ज़ है हमारा
करके अमल बुरा तू, शैतान हो न जाए

हो नेकी तेरा रस्ता, सच हो हमेशा मंजिल
कुछ चूक भी है अच्छी ,भगवान हो न जाए

कुदरत तेरी रही जो,तू उसपे रहना कायम
कुछ कर अलग दिया जग, हैरान हो न जाए

उलझा रहूँगा तब तक खुद ही में सुलझने को
*जब तक कि खुद को अपनी पहचान हो न जाए*

क्यों रेत आब लगती,क्यों देखना है मुश्किल
झूठी चमक पे दिल बे ईमान हो न जाए

मौलिक एवं अप्रकाशित

आदरणीय , प्रयास प्रशंसनीय है । ग़ज़ल पर अभी बहुत काम शेष है ।

 बढ़िया ग़ज़ल हुई है सतविन्द्र भैया  इन बातों पर ध्यान दिलाना चाहूँगी .....    कुछ चूक भी है अच्छी ,भगवान हो न जाए---कुछ चूक मुझसे देखो  ,भगवान हो न जाए  ...ऐसा करने से मिसरा स्पष्ट होगा 

उलझा रहूँगा तब तक खुद ही में सुलझने को सुलझने =१२२  होना चाहिए मेरे ख्याल से आपने २१२  लिया है भैया ..जैसे उलझने २१२ और उलझ  ने १२+२  में फर्क होता है  यहाँ शब्द सुलझ  ने है 

उलझा रहूँगा जब  तक खुद ही सुलझ न जाऊँ-----ये कर सकते हो 

जनाब सतविंद्र कुमार साहिब ,ग़ज़ल अभी समय मांग रही है ,प्रयास अच्छा है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

शेर2 मिसरों में रब्त नहीं है ,यूँ कर सकते हैं ।" डर है जो कर रहा है इंसानियत की ख़िदमत-कर के बुरे अमल वह शैतान हो न जाये ।

शेर3 मिसरों में रब्त की कमी ,यूँ कर सकते हैं ।"यह इल्तिजा है मेरी नेकी के रास्ते पर -कोई भी चूक मुझ से भगवान हो न जाये।

शेर4 मिसरों में रब्त की कमी , यूँ कर सकते हैं ।"जो गैर था बना है अख़लाक़ से वह अपना -यह देख कर ज़माना हैरान हो न जाये ।

शेर5 उला मिसरा बह्र में नहीं ,रब्त नहीं ,यूँ कर सकते हैं ।"उलझा रहूंगा तब तक खुद ही सुलझ न जाऊं।

शेर6 बे ईमान क़ाफ़िया नहीं हो पायेगा , मिसरों में रब्त की कमी है।

आदरणीय सतविंद्र जी आदाब,

                    ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है । गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें । आयोजन में सहभागिता हेतु हार्दिक बधाई ।

आ. भाई सतविंद्र जी, अच्छी गजल हुई है , हार्दिक बधाई ।

आद0 सतविंदर जी सादर अभिवादन। ग़ज़ल के प्रयास के लिए बधाई।सादर

आदरणीय मोहन बेगोवाल जी बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई क़ुबूल करें 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service