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बाल साहित्य Discussions (213)

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बाल-कविता (सार-छंद आधारित)

मत रो अम्मा, अब जाने दो, जो होना, होने दो, चूती टूटी झुग्गी अपनी, हमें यूँ नहाने दो। गर्मी, वर्षा हो या सर्दी, करते प्रभु से अर्ज़ी, संकट…

Started by Sheikh Shahzad Usmani

3 Feb 19, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

भूल-भुलैया (बाल-गीत) [सार छंद-आधारित] /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

भूल-भुलैया भूल-भुलैया, विज्ञापन की दुनिया, ज़िद मत करना सब पाने की, नये सामान मुनिया। भूल-भुलैया भूल-भुलैया, मोबाइल में घुसना, खेलो-कूंदो…

Started by Sheikh Shahzad Usmani

2 Feb 19, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

बाल कविता

      गौरैया               - उषा अवस्थी       छोटे छोटे पर फैलाकर       फुर-फुर कर वह उड़ जाती       कभी मुँडेर, कभी डाली पर        चहक-चहक…

Started by Usha Awasthi

0 Feb 12, 2018

लघुकथा

......नव वर्ष..... नव वर्ष की पूर्व सन्ध्या की पार्टी में जाने के लिए, पलाश ने, सुबह से ही अपने पिता के पीछे भुन भुन शुरू कर दी थी, "पापा,…

Started by Anagha Joglekar

1 Jan 21, 2018
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

ग़ज़ल ( यह मासूम हैं सब की आँखों के तारे )

ग़ज़ल ( यह मासूम हैं सब की आँखों के तारे ) ---------------------------------------------------------- (फऊलन-फऊलन-फऊलन-फऊलन) यह मासूम हैं सब…

Started by Tasdiq Ahmed Khan

0 Nov 16, 2017

बाल कविता

नहीं मिठाई मोबाइल पर देनी हो तो सच्ची दो 1- जाया होता वक्त हमारा इन भ्रमजालों में पड़कर पढ़ें पाठशाला में जाएँ बुद्धि हमें तुम पक्की दो नहीं…

Started by Usha Awasthi

4 Nov 1, 2017
Reply by Usha Awasthi

गजल(पानी)

कहते हैं मुझको सब पानी मेरी भी है एक कहानी।1 दो गैसों का मेल कराता धरती को करता मैं धानी।2 जीवन का पर्याय बनूँगा बस इतनी-सी मैंने ठानी।3 खू…

Started by Manan Kumar singh

0 Aug 26, 2017

मोबाइल संस्कृति ( कथा)

सन्देश ने अपने पापा से मोबाइल की जिद्द की , उन्होंने बहुत समझाया -" बेटा , अभी तुम बहुत छोटे हो , अभी तो तुम पाँचवी में हो , अभी से मोबाइ…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

1 Aug 24, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

आलस ( कथा)

अनुष्का एक आलसी लड़की थी | लाख समझाने पर भी वह टस से मस नहीं होती थी | सुबह देर से उठना ,अपने कमरे में ही चाय दूध पीना , नाश्ता करना , और फि…

Started by KALPANA BHATT ('रौनक़')

1 Aug 24, 2017
Reply by KALPANA BHATT ('रौनक़')

गजल(कद्दू)

#गजल#(कद्दू) ^^^^^ सब्जी चाहे सूप बनाओ कद्दू खाओ, रोग भगाओ।1 कहता--सेवन कर लो साथी! दिल का रोगी मत कहलाओ।2 चाप चढ़ायेगा क्या बीपी? डाईबीटि…

Started by Manan Kumar singh

0 Jul 5, 2017

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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

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मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

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