For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

← Back to भोजपुरी साहित्य
Discussions Replies Latest Activity

जाड़ा बीतल,बसंत आइल (बसंत ऋतु पर भोजपुरी गीत)

जाड़ा बीतल,बसंत आइल। सब प्राणी के मन हर्षाइल।। हरियर बा धरती के आँचल, सुरुज देवता अइलन माकल, सभे रजाई छोड़ के भागल, चर-फर बा,देहिया अलसाइल।…

Started by जयनित कुमार मेहता

1 Feb 18, 2016
Reply by Shyam Narain Verma

ओ, दसरथ माँझी !

ओ ! दसरथ माँझी, ओ ! दसरथ माँझी जियरा तू पोढ़ कइलो दसरथ माँझी |   जाना उस पार बीचे बाटै पहाड़ काटौ पाथर-गरब अपार   हाथ-गोड़ लोह कइलो दसरथ माँझी…

Started by Santlal Karun

4 Feb 14, 2016
Reply by Santlal Karun

देहियाँ पे गाढ़ा चुंबन

जड़ दिहला हो, रामा ! जड़ दिहला सगरौ देहियाँ पे गाढ़ा चुंबन, जड़ दिहला |   हथवौ से जड़िला, नजरियौ से जड़िला बहियाँ में लइके अँकवरियौ से जड़िला अंगै…

Started by Santlal Karun

8 Dec 15, 2015
Reply by Santlal Karun

सदस्य टीम प्रबंधन

चुनावी दौर के बाद (दोहा छन्द) // --सौरभ

जवन चलीं हम नीक बा, तहरे बाउर चाल !                             [बाउर - ग़लतराजनीति के खेल में, कूल्हि पैंतरा गाल !!                        …

Started by Saurabh Pandey

7 Nov 13, 2015
Reply by Santlal Karun

गजल

वोटर के उद्गार भउजी कहली वोट गिरावल जाई। चलीं नेतवन के समुझावल जाई। बात बनउअल भइल बहुत अब एकनी के आज बतावल जाई। बहुते नाच नचवलख इ सब एकनी क…

Started by Manan Kumar singh

0 Oct 11, 2015

मुख्य प्रबंधक

भोजपुरी गीत : शाबास बबुआ

बबुआ बम्बई में बंगला बनवले बा, बाबू माई के अपना बइलवले बा । टिप टाप बनके रहे दुनों रे परानी, नया युग आइल मरल अखियां के पानी, बबुआ दुधवो मे…

Started by Er. Ganesh Jee "Bagi"

16 Sep 22, 2015
Reply by indravidyavachaspatitiwari

सदस्य टीम प्रबंधन

गइल भँइसिया पानी में अब (भोजपुरी नवगीत) // --सौरभ

गइल भँइसिया पानी में अब कइल-धइलसब बंटाधार !  बान्हब पगहारउए ढूँसी  सुखहा मोन्हे मूड़ी ठूँसीघींच-घाँच ले आईं रउआ  करीं फेर सेचारा-भूँसी !परल…

Started by Saurabh Pandey

1 Sep 19, 2015
Reply by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"

उछहल मन

गोरी तोहरे संगे हम तर जइबेंतूँ जो नाही मिलबू त मर जइबें तोहरे ही याद में अब जिनगी बिताइलेरोज के सपनवा में तोहरा के पाइलेटूटी जो सपना त बिख…

Started by Pawan Kumar

0 Aug 12, 2015

बात बा(भोजपुरी गजल,मनन कु.सिंह)

बात अब चुनाव के बरिआत के बा, सब त लूटेवाला,देखीं लुटात के बा? बात अब रह गइल बस जात के बा, देखीं ना अब उहाँ गभुआत के बा? का होइ,ना होइ,गइल ग…

Started by Manan Kumar singh

0 Jun 1, 2015

रूप धूप में सुखाई मत(गजल,मनन कु.सिंह)

रूप अपन धूप में सुखाईं मत एने-ओने नजर भटकाईं मत। उछहल हियरा उछलबे करी बेशी ओकरा अब दबाईं मत। कबसे चकोर बा आँख गड़वले चंदनिया अबहुँ चोराईं मत…

Started by Manan Kumar singh

0 May 29, 2015

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service