Sort by:
Discussions | Replies | Latest Activity |
---|---|---|
देहियाँ पे गाढ़ा चुंबनजड़ दिहला हो, रामा ! जड़ दिहला सगरौ देहियाँ पे गाढ़ा चुंबन, जड़ दिहला | हथवौ से जड़िला, नजरियौ से जड़िला बहियाँ में लइके अँकवरियौ से जड़िला अंगै… Started by Santlal Karun |
8 |
Dec 15, 2015 Reply by Santlal Karun |
सदस्य टीम प्रबंधन चुनावी दौर के बाद (दोहा छन्द) // --सौरभजवन चलीं हम नीक बा, तहरे बाउर चाल ! [बाउर - ग़लतराजनीति के खेल में, कूल्हि पैंतरा गाल !! … Started by Saurabh Pandey |
7 |
Nov 13, 2015 Reply by Santlal Karun |
गजलवोटर के उद्गार भउजी कहली वोट गिरावल जाई। चलीं नेतवन के समुझावल जाई। बात बनउअल भइल बहुत अब एकनी के आज बतावल जाई। बहुते नाच नचवलख इ सब एकनी क… Started by Manan Kumar singh |
0 | Oct 11, 2015 |
मुख्य प्रबंधक भोजपुरी गीत : शाबास बबुआबबुआ बम्बई में बंगला बनवले बा, बाबू माई के अपना बइलवले बा । टिप टाप बनके रहे दुनों रे परानी, नया युग आइल मरल अखियां के पानी, बबुआ दुधवो मे… Started by Er. Ganesh Jee "Bagi" |
16 |
Sep 22, 2015 Reply by indravidyavachaspatitiwari |
सदस्य टीम प्रबंधन गइल भँइसिया पानी में अब (भोजपुरी नवगीत) // --सौरभगइल भँइसिया पानी में अब कइल-धइलसब बंटाधार ! बान्हब पगहारउए ढूँसी सुखहा मोन्हे मूड़ी ठूँसीघींच-घाँच ले आईं रउआ करीं फेर सेचारा-भूँसी !परल… Started by Saurabh Pandey |
1 |
Sep 19, 2015 Reply by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" |
उछहल मनगोरी तोहरे संगे हम तर जइबेंतूँ जो नाही मिलबू त मर जइबें तोहरे ही याद में अब जिनगी बिताइलेरोज के सपनवा में तोहरा के पाइलेटूटी जो सपना त बिख… Started by Pawan Kumar |
0 | Aug 12, 2015 |
बात बा(भोजपुरी गजल,मनन कु.सिंह)बात अब चुनाव के बरिआत के बा, सब त लूटेवाला,देखीं लुटात के बा? बात अब रह गइल बस जात के बा, देखीं ना अब उहाँ गभुआत के बा? का होइ,ना होइ,गइल ग… Started by Manan Kumar singh |
0 | Jun 1, 2015 |
रूप धूप में सुखाई मत(गजल,मनन कु.सिंह)रूप अपन धूप में सुखाईं मत एने-ओने नजर भटकाईं मत। उछहल हियरा उछलबे करी बेशी ओकरा अब दबाईं मत। कबसे चकोर बा आँख गड़वले चंदनिया अबहुँ चोराईं मत… Started by Manan Kumar singh |
0 | May 29, 2015 |
सदस्य टीम प्रबंधन भोजपुरी ग़ज़ल // -सौरभ२१२२ १२१२ २२ साफ़ बोले में बा हिनाई का ? काहें बूझीं पहाड़-राई का ? चाँद-सूरज में दोस्ती कइसे ? धंधा-पानी में ’भाई-भाई’ का ? सब इहाँ जी र… Started by Saurabh Pandey |
2 |
May 26, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
गजलभोजपुरी गजल(07/05/2015) रूप अपन धूप में सुखाईं मत एने-ओने नजर भटकाईं मत। उछहल हियरा उछलबे करी बेशी ओकरा अब दबाईं मत। कबसे चकोर बा आँख गड़वले… Started by Manan Kumar singh |
0 | May 7, 2015 |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |