आदरणीय काव्य-रसिको,
सादर अभिवादन !
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह आयोजन लगातार क्रम में इस बार छियान्बेवाँ आयोजन है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
20 अप्रैल 2019 दिन शनिवार से 21 अप्रैल 2019 दिन रविवार तक
इस बार का छंद है -
सार छंद
हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या दोहा-ग़ज़ल या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
साथ ही, रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगे
सार छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें
जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
20 अप्रैल 2019 दिन शनिवार से 21 अप्रैल 2019 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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विशेष :
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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वाह,वाहहह,चित्र पर अतिसुंदर व सारगर्भित सार छंद रचा है। बधाई हो आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब।
छन्न पकैया छन्न पकैया, दिन चुनाव का आया
वोट न देना उसको जिसने, वादा नहीं निभाया....मतदाता को सही सलाह।
प्रदत्त चित्र अनुरूप शानदार छंद रचना हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक जी
प्रिय तश्दीक भाई, चित्र को जुबान देती अच्छी रचना प्रस्तुत हुई है, दिल से बधाई देता हूँ.
सार छंद -
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लोकतंत्र का पर्व निकट है, चलो सहर्ष मनाएँ ।
करे लोकहित को संवर्धित, वो सरकार बनाएँ।।
करें सभी मतदान सजग रह ,प्रण यह मन में ठानें ।
मत की कीमत क्या होती है , मोल सभी पहचानें।।
जागरूक हों मतदाता सब , निज दायित्व निभाएँ ।
लोकतंत्र का पर्व निकट है , चलो सहर्ष मनाएँ ।।
माना आज विकट पंकिल है , राजनीति की वीथी ।
दीख रहा परिदृश्य प्रकट जो , भूल हमारी भी थी ।।
कंबल मदिरा धन पद के फिर ,लालच में मत आएँ ।
लोकतंत्र का पर्व निकट है , चलो सहर्ष मनाएँ ।।
चलो निकालें मिलकर सारे , चुभे विगत जो काँटे ।
क्यों ऐसी सरकार चुनें जो , जाति धर्म में बाँटे ।।
समरसता के पोषक को हम , सत्ता में पहुँचाएँ ।
लोकतंत्र का पर्व निकट है , चलो सहर्ष मनाएँ ।।
वंचित का शोषण करता हो , मूल ध्येय पद पैसा ।
कथनी -करनी में अंतर हो , चुनें न शासक ऐसा ।।
विगत हुयीं जो त्रुटियाँ उनको ,और न हम दुहराएँ ।
लेकतंत्र का पर्व निकट है , चलो सहर्ष मनाएँ ।।
~ मौलिक व अप्रकाशित
लोकतंत्र के महापर्व की, कीमत है दर्शाई
सब समझेंगे बात आपकी, ले लो खूब बधाई
आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी सृजन की सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका ।
आदरणीया अनामिकाजी
खूब कह गई अनामिकाजी, देता हृदय बधाई।
सुंदर शब्दों की यह रचना, मेरे मन को भाई॥
आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी प्रस्तुत सार छंद आधारित गीत की सराहना हेतु प्रणत आभार आपका ।
आदरणीया अनामिका सिंह जी प्रदत्त चित्र के अनुकूल सार छंद आधारित गीत का सृजन हुआ है हार्दिक बधाई स्वीकार करें.
आदरणीय सत्य नारायण सिंह जी सार छंद आधारित गीत आपको पसंद आया , रचनाकर्म सफल हुआ , सराहना हेतु हार्दिकआभार आपका आदरणीय ।
बहुत बहुत बधाई Anamika singh Ana जी बहुत ख़ूब सूरत पेेशकश की
आदरणीय आसिफ जैदी जी प्रस्तुत सार छंद आधारित गीत आपको पसंद आया , सृजन सार्थक हुआ, सराहना हेतु अतिशय आभार आपका , सादर ।
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