जीडीपी से नौकरी,
ये अर्थशास्त्र कभी समझ न आया,
क्यों उगलते हैं कारखाने काला धुंआ,
जीडीपी ने कभी नहीं बताया,
सोचो ज़रा आसमान में,
सुराख किसने है बनाया,
क्यों झुलसाती है सूरज की किरणे इतना,
जीडीपी ने कभी…
Posted on June 13, 2012 at 7:00pm — 7 Comments
एक बड़ा आदमी अभी बोला कि वो माँगने कू नहीं गया था | उसे तो महामहिम ने अपने आप दे दिया , तो वो ले लिया | वो एकदम ई सच्ची बोला | क्यूं , इस वास्ते कि बड़ा आदमी छोटा चीज कभी नईं मांगता | बड़ा चीज भी वो एसीच्च नईं मांगता | बड़ा आदमी का माँगने का कला भी बड़ा ई अलग होता | अपुन जैसा मिडिल क्लास मांगेगा तो बोलेगा कि मिल जाएगा तो बड़ा मेहरबानी होगा , अक्खा लाईफ ओबलाईज रहेगा | थोड़ा और नीचे जायेंगा , बोले तो एकदम फटीचर क्लास में तो वो बोलेगा कि माईं बाप अपुन…
ContinuePosted on June 6, 2012 at 11:30pm — 13 Comments
हमें आजादी चाहिये --
चाहिये ,चाहिये , चाहिये ,
हमें आजादी चाहिये ,
तुम्हारे गम से , तुम्हारी खुशी से ,…
ContinuePosted on April 15, 2012 at 12:30am — 7 Comments
कोई बाबा निर्मल नहीं
सब मन के बड़े मैले हैं ,
दौलत के ढेर पर बैठे
ये ठग बड़े लुटेरे हैं ,
व्यापार इनका धर्म है
धर्म का करते…
ContinuePosted on April 14, 2012 at 12:30am — 11 Comments
Arun sir, mitrata swikaar karne ke liye dhanywaad
आदरणीय अरुण जी आपका स्वागत है.
sundar vicharon ki dharti par apka swagat hai.
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