2122 2122 212
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देख साँसों में बसा है ओ बी ओ
मेरी क़िस्मत में लिखा है ओ बी ओ
कितने आए और कितने ही गए
शान से अब तक खड़ा है ओ बी ओ
बढ़ गई तौक़ीर मेरी और भी
तू मुझे जब से मिला है ओ बी ओ
हों वो 'बाग़ी' या कि भाई 'योगराज'
तू सभी का लाडला है ओ बी ओ
भाई 'सौरभ' शान से कहते यही
मेरे तो दिल की सदा है ओ बी ओ
सीखने वाले नये जितने भी हैं
तू सभी का आसरा है ओ बी ओ
है अदब में आप ये अपनी मिसाल
बेश क़ीमत बे बहा है ओ बी ओ
दिल से निकली है यही मेरे सदा
जान भी तुझ पर फ़िदा है ओ बी ओ
चाहता हूँ मैं तुझे दिल से अगर
क्या मेरी इस में ख़ता है ऒ बी ओ
देख लो दिल चीर कर मेरा 'समर'
शान से इसमें सजा है ओ बी ओ
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'समर कबीर'
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
वाह आदरणीय समर कबीर साहिब वाह। ... ओ बी ओ की सालगिरह पर इससे अच्छा तुहफ़ा और क्या होगा। इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर।
आदरणीय समर कबीर सर, लाजवाब ग़ज़ल,हर शे'र ओ बी ओ की शान बढ़ाता हुआ । हार्दिक बधाई।
ओ बी ओ के प्रति आपका प्यार देखते ही बनता है । वर्ष गांठ पर इससे अच्छा तोहफ़ा नहीं हो सकता ।
आपको ओबीओ की सालगिरह की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
ओ
वाह। बेहद खूबसूरत। ओ बी ओ की शान में कही गयी मुकम्मिल ग़ज़ल। दिल से बधाई आदरणीय समर कबीर साहेब। आदाब।
शब्द-माला, मोतियाँ लाये समीर
जन्मदिन पर ’वाह-वा’ है ओबीओ !
एक दशक से ऊपर हो गये. दो हजार दस से प्रारम्भ हुई ओबीओ की यात्रा कई-कई राहों, मोड़ों से गुजरती हुई समय के वर्तमान मुहाने पर है. अनेकानेक नवसिखियों के लड़खड़ाते हुए कदमों का साक्षी रहा है यह पटल. जिसने अपने दर पर उन्हें आते हुए देखा है. उन्हें अपने सिर नवाते हुए देखा है. अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार अभ्यास करते हुए देखा है. वे नौसिखिये आज अपने-अपने जगत में यश-नाम के साथ ’उस्ताद’ बने प्रतिष्ठित हो रहे हैं.
सीखते हुए सिखाने की गरिमा का जैसा बखान और सात्विक प्रदर्शन ओबीओ के पटल पर हुआ है, अन्यत्र दुर्लभ है. इस गरिमा की महिमा के कारण इसके सदस्यों के मन-मस्तिष्क में जैसा विश्वास घर करता रहा है, वह उनकी साहित्यिक प्रवृति के उभार का मुख्य कारण बनता रहा है.
ऐसे निराले पटल ओबीओ की सालग़िरह के अवसर पर आदरणीय समर साहब ने अपनी बनायी हुई परिपाटी के अनुसार ग़ज़ल प्रस्तुत की है, वह हम सभी के लिए गर्व का विषय है. अलबत्ता, मुझ जैसे अदने की ग़ज़ल में चर्चा मेरे लिए संकोच का भी कारण है. आपका आभार आदरणीय.
ओबीओ के सालग़िरह की बधाइयाँ.
शुभातिशुभ
ओबीओ की शान में बेहतरीन अजल के लिये मुबारकबाद |
मुहतरम जनाब योगराज प्रभाकर साहिब आदाब,मेरी इस ग़ज़ल को फ़ीचर ब्लॉग में शामिल करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ ।
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