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बहर - 2122 / 1212 / 2122
रेत पर किसके नक्शे पा ढूँढता हूँ !
ज़िंदगी क्यूँ तेरा पता ढूँढता हूँ !!
किस ख़ता की सज़ा मिली मुझको ऐसी
माज़ी में अपने ,वो ख़ता ढूँढता हूँ !!
य़क सराबों के दश्त में खो गया मैं
अब निकलने का रास्ता ढूँढता हूँ !!
दौरे गर्दिश में संग ,गर चल सके जो
कोई ऐसा मैं हमनवा ढूँढता हूँ !!
रौशनी थी मुझे मयस्सर कब आखिर
फिर भी क्यूँ कोई रहनुमा ढूँढता हूँ !!
.
चिराग़…
ContinuePosted on June 28, 2014 at 1:00pm — 13 Comments
"चीख चीख कर पूछ रहा है ,ये उद्वेलित मन मेरा मुझसे ,
इस अन्धकार में कितनी सदियाँ और बिताना बाकी है ?
चूड़ियाँ पहने पड़ी इस सुषुप्त व्यवस्था को धिक्कारने में
अब भी यूँ ही कितनी मोमबत्तियाँ और जलाना बाकी है ?
इस कुण्ठित दानवता के कुकृत्यों से लज्जित ,
आज मानवता कितनी बेबस पानी पानी है ?
मोड़ मोड़ पर खड़े ये दुर्योधन और दु:शासन ,
दुर्गा पूजती सभ्यता की क्या यही निशानी है ?
कोरे कागज़ी कानूनों के फूल चढ़ाये ,यूँ अर्थियाँ उठाते,
कितने…
Posted on June 6, 2014 at 9:30am — 4 Comments
खबर क्या है किसी को कल की
ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की
एक से ही हैं गम हमारे
एक सी ही तो खुशियाँ
दिल से दिल के दरमयाँ
फिर क्यूँ इतनी है दूरियाँ
तमन्ना किसे है आखिर ,किसी ताजमहल की
ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की .............
आ चल दो पल हम
जरा दिल से रो लें
नफ़रत के हर निशाँ
आँसुओं से धो लें
ओढ़ माँ का आंचल
दो पल को हम सो लें
जिन्दगानी हो कहानी ,यक नए पहल की
ज़िन्दगी ठहरी फ़क़त दो पल की…
Posted on December 3, 2013 at 4:00pm — 9 Comments
"रचा न जिस वास्ते तुझे खुदा ने
उस रंग में कभी खुद को न रंग
दुनियादारी है रवायत दुनिया की
दुनियादार न बन दुनिया के संग
निश्चल ये दिल है ,चंचल जैसे
छलछल कलकल बहता पानी है
थम न जाना किसी मराहिल पे
दरिया की तो रविश ही रवानी है
खिलखिलाते देखता हूँ तुझे जब भी
याद आता है मुझको अपना बचपन
क्या बख्त होगा उस घर आँगन का
तेरे क़दमों से जो हो जायेगा गुलशन
खुदा न बशर ,न हूर न फ़रिश्ता है तू
अन्तर्मन में…
Posted on August 1, 2013 at 8:30am — 2 Comments
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Comment Wall (7 comments)
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चिराग जी , मुझे आप से मित्रता करके अपार खुशी होगी . एक सौ पचास साल पहले मेरे पूर्वज बिहार से मॉरिशस गये थे . मुझे ह्मेशा अपने पूर्वज के देश के वासियों के बारे में जानने की उत्सुक्ता बनी रहती है. जाने
अंजाने मैं अपनी जड़ों को तलाशती रहती हूँ.मैं आप को हृदय से स्वागत करती हूँ.
चिराग जी, हार्दिक स्वागत आपका....
Thank you for inviting me to be your friend.
Vijay Nikore
hardik swagat hae aapka
चिराग जी आपका हार्दिक स्वागत है! आपकी पहली रचना की प्रतीक्षा है।
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
अनुरोध है कि कृपया यहाँ क्लिक कर ओ बी ओ नियमावली से परिचित हो लें ताकि असुविधा न हो, सादर ।
सादर