For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रमेश कुमार चौहान
  • Male
  • chhatisgarh
  • India
Share on Facebook MySpace

रमेश कुमार चौहान's Friends

  • सतविन्द्र कुमार राणा
  • DR. HIRDESH CHAUDHARY
  • गिरिराज भंडारी
  • Abhishek Kumar Jha Abhi
  • शिज्जु "शकूर"
  • Priyanka singh
  • बृजेश नीरज
  • अरुन 'अनन्त'
  • Dr.Prachi Singh
 

रमेश कुमार चौहान's Page

Latest Activity

रमेश कुमार चौहान replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"आदरणीय रवि प्रभाकर जी से मुझे व्यक्तिगत रुप से बहुत कुछ सीखने को मिला मैं उनके आकस्मिक दुनिया छोड़ जाने से बहुत ही दुखी हूं, ईश्वर से कामना करता हूं की उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।"
May 23, 2021
रमेश कुमार चौहान replied to Admin's discussion खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...
"ओ बी ओ परिवार के सभी सम्मानित विद्वतजनों को इस फोरम की एकादश वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं । मुझे स्मरण है आज से 9-10 वर्ष पूर्व इस फोरम की सहायता से मुझे कविता के "क" छंद के "छ" गजल के "ग' से परिचित होने का सुअवसर…"
Apr 1, 2021
रमेश कुमार चौहान posted a blog post

पहनावा (कुण्डलियां)

पहनावा ही बोलता, लोगों का व्यक्तित्व । वस्त्रों के हर तंतु में, है वैचारिक स्वरितत्व ।। है वैचारिक स्वरितत्व, भेद मन का जो खोले । नग्न रहे जब सोच, देह का लज्जा बोले । फैशन का यह फेर, नग्नता का है लावा । आजादी के नाम, युवा का यह पहनावा ।। ............................................. मौलिक एवं अप्रकाशितSee More
Aug 6, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
Nawagarh C.G.
Native Place
Nawagarh
Profession
teacher
About me
छत्तीसगढ़ी एवं हिन्दी में कविता पढ़ना पसंद हैं । कुछ पंक्तियां स्वयं का लिखने का प्रयास रहता है ।

रमेश कुमार चौहान's Blog

पहनावा (कुण्डलियां)

पहनावा ही बोलता, लोगों का व्यक्तित्व ।
वस्त्रों के हर तंतु में, है वैचारिक स्वरितत्व ।।
है वैचारिक स्वरितत्व, भेद मन का जो खोले ।
नग्न रहे जब सोच, देह का लज्जा बोले ।
फैशन का यह फेर, नग्नता का है लावा ।
आजादी के नाम, युवा का यह पहनावा ।।
.............................................
मौलिक एवं अप्रकाशित

Posted on October 23, 2017 at 11:00pm — 4 Comments

यथावत रखें संसार (नवगीत)

एक-दूजे के पूरक होकर

यथावत रखें संसार

पक्ष-विपक्ष राजनीति में

जनता के प्रतिनिधि

प्रतिवाद छोड़ सोचे जरा

एक राष्ट्र हो किस विधि

अपने पूँछ को शीश कहते

दिखाते क्यों चमत्कार

हरे रंग का तोता रहता

जिसका लाल रंग का चोंच

एक कहता बात सत्य है

दूजा लेता खरोच

सत्य को ओढ़ाते कफन

संसद के पहरेदार

सागर से भी चौड़े हो गये

सत्ता के गोताखोर

चारदीवारी के पहरेदार ही

निकले कुंदन…

Continue

Posted on February 23, 2017 at 6:00pm — 3 Comments

राजनीति (नवगीत)

घुला हुआ है

वायु में,

मीठा-सा  विष गंध



जहां रात-दिन धू-धू जलते,

राजनीति के चूल्हे

बाराती को ढूंढ रहे  हैं,

घूम-घूम कर दूल्हे



बाँह पसारे

स्वार्थ के

करने को अनुबंध



भेड़-बकरे करते जिनके,

माथ झुका कर पहुँनाई

बोटी-बोटी करने वह तो

सुना रहा शहनाई



मिथ्या-मिथ्या

प्रेम से

बांध रखे इक बंध



हिम सम उनके सारे वादे

हाथ रखे सब पानी

चेरी, चेरी ही रह जाती

गढ़कर राजा-रानी



हाथ… Continue

Posted on November 4, 2016 at 2:57pm — 3 Comments

चवपैया छंद

(चवपैया छंद-10, 8, 12 मात्रा के तीन -तीन चरणों के कुल चार पद , प्रत्येक पद के प्रथम एवं द्वितीय चरण मं समतुक एवं दो-दो पद में 1122 मात्रा या पदांत 2 मात्रा के के साथ समतुक पर हो)

हे आदि भवानी, जग कल्याणी, जन मन के हितकारी ।
माँ तेरी ममता, सब पर समता, जन मन को अति प्यारी ।।
हे पाप नाशनी, दुख विनाशनी, जग से पीर हरो माँ ।
आतंकी दानव, है क्यों मानव, जन-मन विमल करो माँ ।।

...................................

मौलिक अप्रकाशित

Posted on September 25, 2016 at 7:30am — 2 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:28pm on November 24, 2013, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

चौहान जी

हम सब यहाँ सीखते है i हो सकता है कल मै आप से कुछ पा सकू  i आभार i

At 8:47pm on September 5, 2013, mrs manjari pandey said…

      

      आदरणीय चौहाण जी हार्दिक आभार .

At 9:33pm on August 24, 2013, बृजेश नीरज said…

ओबीओ पर आपका हार्दिक स्वागत है!

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"चार बोनस शेर * अब तक न काम एक भी जग में हुआ भला दिखते भले हैं खूब  यूँ  लोगो फिगर से हम।।…"
1 hour ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"221 2121 1221 212 अब और दर्द शे'र में लाएँ किधर से हम काग़ज़ तो लाल कर चुके ख़ून-ए-जिगर से…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"सपने दिखा के आये थे सबको ही घर से हम लेकिन न लौट पाये हैं अब तक नगर से हम।१। कोशिश जहाँ ने …"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"वाक़िफ़ हैं नाज़नीनों की नीची-नज़र से हम दामन जला के बैठे हैं रक़्स-ए-शरर से हम सीना-सिपर हैं…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"जी आदरणीय अमित जी, कॉपी पेस्ट हो गए थे। फिलहाल एडिट कर तीन शेर अलग से कमेंट बॉक्स में पोस्ट कर दिए…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"तीन बोनस शेर  कितना भी दिल कहे यही बोले नजर से हम। बिल्कुल नहीं कहेंगे यूं कुछ भी अधर से…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"रे हैं आज सुब्ह ख़ुद अपनी नज़र से हम दुबके रहे थे कल जो डकैतों के डर से हम /1 मय्यत पे जो भी आए वो…"
8 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब  आपने १४ अश'आर पोस्ट किए हैं। कृपया एडिट करके इन्हें ११ कर…"
8 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"२२१ २१२१ १२२१ २१२ वाक़िफ़ हुए हैं जब से जहाँ के हुनर से हम डरने लगे हैं अपने ही दीवार-ओ-दर से हम…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-168
"मजाहिया ग़ज़ल हालात वो नहीं हैं कि निकले भी घर से हम।आते दिखे जो यार तो निकले इधर से हम। कितना भी…"
8 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service