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करते भगवान के सृजन का अपमान
कुदरत विरुद्ध चलने में रखते हैं शान
अपने माँ बाप का करते नहीं सम्मान
उपदेश देते गीता का बनते प्रज्ञा वान
जानवर से बदतर यहाँ रहते हैं इंसान
शक्ल से सुंदर पर मन में बसा शैतान
नारी का सम्मान हो, त्यागें जो अभिमान।
जीवन ये खुशहाल हो, बढ़ता बुद्धि ज्ञान।।
तो एक हाइकू हो जाए
महंगा तेल
राहें बड़ी मुश्किल
सस्ता सहारा
अल बगदादी के प्रशिक्षण का असर अब रसोई तक आ पहुंचा है। ट्रैनिंग का प्रताप है जी , बचकर रहना है जरूरी , हा हा हा हा --- बहुत कार्टून हुई है आपकी , बधाई आदरणीय विनय कुल जी।
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