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इतनी मुश्किल से तो बेठने की जगह मिली, ऊपर से गाड़ी लेट ! उस पर साथ मे पहले से बेठा आवारा सा लड़का जो लगातार उसे घूरता ही जा रहा है ! और वो गुस्से मे अनदेखा करके थोड़ा पीछे हटकर मुह घुमाकर बेठ गयी I अचानक पड़ा लिखा सुदर्शन युवा बीच के थोड़ी से स्थान मे फस कर बेठ गया, और लड़की अचानक आवारा लड़के से बोल पड़ी,
"भैया गाड़ी लेट क्यूँ हो गयी ?"!
मोलिक अपकाशित
Posted on April 15, 2015 at 5:00pm — 15 Comments
आदित्य ,
तुम जीवन दाई हो
तुम्हारे ताप से जीवन चलता है
प्रेम भरा स्नेह मिलता है ,
समस्त धरा को ,
तूम दिनकर हो
रजनी को विदा करते हो
अनंत काल से ,
जीवन की मुस्कराहट आती है
तुम्हारे आगमन से ,
प्रभा आती है हरियाली में जिसके
ऊष्मीय स्नेह से प्रभाकर .,
दिन के नरेश , तुम्हारी सत्ता
धरती माँ को आभा देती है ,
खिलखाते है पुष्प .
फिर सोना उगले हरियाली ,
तुम्हारे ही तेज से ,भास्कर !
तुम समस्त जीवन…
ContinuePosted on January 12, 2015 at 5:00pm — 13 Comments
कल तक, तो सुबह ही खटर - पटर ,ची . चु की आवाज़ सुनकर ही पता चल जाता था कि मेरे पड़ोसी अमर सिंह जी के बच्चो को लेने रिक्शाबाला आ गया है | उम्र 50 से एक -आध साल ही उपर होंगी , पर गरीब जल्दी बढता है , और जल्दी ही मरता है इसलिए लगता 70 साल का था | नाम कभी पता नही किया मैंने उसका , होंगा कोई राजा राम या बादशाह खान क्या फर्क पड़ता है नाम से ?
दाढ़ी भी पता नही किस दिन बनाता था ? जब भी देखा ,उतनी की उतनी , सफ़ेद काली , मिक्स वेज जैसी , न कम न ज्यादा ! पोशाक बिलकुल , भारतीय पजामा…
ContinuePosted on August 19, 2013 at 3:30pm — 4 Comments
मै अपनी तक़दीर पर कभी , रोया या नही रोया
पर मेरे जज्बातों पर आसमा टूट के रोया |
मै क्या क्या बताऊ मे क्या क्या गिनाऊ ,
क्या नही पाया मैंने क्या नही खोया |
मेरी हर रात कटी है सो वीमारो के जैसे
दर्द से जुदा होकर मै एक पल नही सोया |
मेरे जीने पे जो जालिम , मातम मनाता रहा ,
मेरे मरने पर वो जी भर के क्यों रोया |
मेरे दिल के जख्म फूलो से निखरते रहे
मैंने कभी इनको मरहम से नही धोया…
ContinuePosted on August 8, 2013 at 12:03pm — 13 Comments
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रचना पसंद करने के लिए आपका तहेदिल से आभार और धन्यवाद !
धन्यवाद अमन भाई...
शुभ शुभ
सादर
शुभ शुभ
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