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क्या केजरीवाल का ये तरीका सही है ?अक्सर मन में विचार आता है कि क्या अरविन्द केजरीवाल द्वारा लगातार ढूंढ ढूंढकर भ्रष्ट नेताओं को निशाना बनाना व् आरोपों की झड़ी लगाने का तरीका सही है ?सभी जानते हैं कि…Continue
Started this discussion. Last reply by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला Nov 7, 2012.
आज दशहरा है और आस पास के घरों में बाहर गए बेटे बहुओं की…Continue
Started this discussion. Last reply by shikha kaushik Oct 24, 2012.
नहीं वे जानते मुझको, दुश्मनी करके बैठे हैं ,
मेरे कुछ मिलने वाले भी, उन्हीं से मिलके बैठे हैं ,
समझकर वे मुझे कायर, बहुत खुश हो रहे नादाँ
क़त्ल करने मुझे देखो , कब्र में घुस के बैठे हैं .
गिला वे कर रहे आकर , हमारे गुमसुम रहने का ,
गुलूबंद को जो कानों से , लपेटे अपने बैठे हैं .
हमें गुस्ताख़ कहते हैं , गुनाह ऊँगली पे गिनवाएं ,
सवेरे से जो रातों तक , गालियाँ दे के बैठे हैं .
नतीजा उनसे मिलने का , आज है सामने आया ,
पड़े हम…
Posted on January 10, 2015 at 11:00pm — 7 Comments
”बचपन आज देखो किस कदर है खो रहा खुद को ,
उठे न बोझ खुद का भी उठाये रोड़ी ,सीमेंट को .”
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”लोहा ,प्लास्टिक ,रद्दी आकर बेच लो हमको ,
हमारे देश के सपने कबाड़ी कहते हैं खुद को .”
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”खड़े हैं सुनते आवाज़ें ,कहें जो मालिक ले आएं ,
दुकानों पर इन्हीं हाथों ने थामा बढ़के ग्राहक को .”…
Posted on June 15, 2014 at 11:30pm — 3 Comments
बेख़ौफ़ हो गए हैं ,बेदर्द हो गए हैं ,
हवस के जूनून में मदहोश हो गए हैं .
चल निकले अपना चैनल ,हिट हो ले वेबसाईट ,
अख़बारों के अड्डे ही ये अश्लील हो गए हैं .
पीते हैं मेल करके ,देखें ब्लू हैं फ़िल्में ,
नारी का जिस्म दारू के अब दौर हो गए हैं .
गम करते हों गलत ये ,चाहे मनाये जलसे ,
दर्द-ओ-ख़ुशी औरतों के सिर ही हो गए हैं .
उतरें हैं रैम्प पर ये बेधड़क खोल तन को…
ContinuePosted on May 11, 2013 at 12:30am — 11 Comments
फरमाबरदार बनूँ औलाद या शौहर वफादार ,
औरत की नज़र में हर मर्द है बेकार .
करता अदा हर फ़र्ज़ हूँ मक़बूलियत के साथ ,
माँ की करूँ सेवा टहल ,बेगम को दे पगार .
मनसबी रखी रहे बाहर मेरे घर से ,
चौखट पे कदम रखते ही इनकी करो मनुहार .
फैयाज़ी मेरे खून में ,फरहत है फैमिली ,
फरमाइशें पूरी करूँ ,ये फिर भी हैं बेजार .
हमको नवाज़ी ख़ुदा ने मकसूम शख्सियत…
Posted on April 17, 2013 at 1:36am — 6 Comments
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"आपने मेरी कविता की जो सराहना की है वह मेरे लिए अनमोल है । "
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
शालिनी जी आप को मेरा नमस्कार
और साथ में OBC को धन्यवाद,
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन के मुख्य पृष्ठ पर दाहिने तरफ दो हिंदी लेखन टूल पहले से दिया हुआ है, पहला "
हिन्दी यहाँ टाइप करे...
तथा दूसरा Tool Box मे देवनागरी लिखने के लिये यहाँ क्लिक करे...
इसके अलावा एक और हिंदी लेखन टूल नीचे दिये गये लिंक पर मिल सकता है , पुनः किसी भी प्रश्न का स्वागत है |
http://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:27913?id=5170231%3ATopic%3A27913&page=1#comments