जो सीने में धड़कता दिल न होता
तो कोई प्यार के क़ाबिल न होता॥
अगर सच मुच वह होता मुझ से बरहम
मिरे दुःख में कभी शामिल ना होता॥
किसी का ज़ुल्म क्यूँ मज़लूम सहता
अगर वह इस क़दर बुज़दिल न होता॥
नज़र लगती सभी की उस हसीं को
जो उसके गाल पर इक तिल न होता॥
ज़मीर उसका अगर होता न मुर्दा
तो इक क़ातिल कभी क़ातिल न होता॥
:सिया: महफ़िल में रौनक़ ख़ाक होती
अगर इक रौनक़े महफ़िल न होता॥
Posted on October 11, 2011 at 10:29pm — 4 Comments
Posted on October 6, 2011 at 10:05pm
तू ज़रा सोच कभी अपनी अदा से पहले
कहीं मर जाये न इक शख्स क़ज़ा से पहले
इस लिए आज तलक मुझ से ख़ताएँ न हुईं
रोक देता है ज़मीर आ के ख़ता से पहले
हो सके तो कभी देखो मेरे घर में आकर
ऐसी बरसात जो होती है घटा से पहले
ग़मे जानां की क़सम अश्के मोहब्बत की क़सम
थे बहुत चैन से हम दौरे वफ़ा से पहले
वह फ़क़त रंग ही भर्ती रही अफसानों में
सब पहुंच भी गए मंजिल पे सिया से पहले
Posted on October 4, 2011 at 8:03pm — 5 Comments
सब को मीठे बोल सुनाती रहती हूँ
दुश्मन को भी दोस्त बनाती रहती हूँ॥
कांटे जिस ने मेरी राह में बोये हैं
राह में उस की फूल बिछाती रहती हूँ॥
अपने नग़मे गाती हूँ तनहाई में
वीराने में फूल खिलाती रहती हूँ॥
प्यार में खो कर ही सब कुछ मिल पाता है
अक्सर मन को यह समझाती रहती हूँ
तेरे ग़म के राज़ को राज़ ही रक्खा है
मुस्कानों में अश्क छुपाती रहती हूँ॥
दिल मंदिर में दिन ढलते ही रोज़ "सिया"
आशाओं के…
Posted on October 2, 2011 at 4:59pm — 12 Comments
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Comment Wall (8 comments)
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सदस्य कार्यकारिणीमिथिलेश वामनकर said…
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें..
बहुत खूबसूरत हैं ...........!!!!!!
कांटे जिसने राह में .....बहुत खूब
खूबसूरत अशआर हैं आपके | |दबे जख्म फिर उभर आयेंगें
bahut khoob ashaar haen aapke
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
प्रधान संपादकयोगराज प्रभाकर said…
ओबीओ परिवार में आपका हार्दिक स्वागत है सिया जी !