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मुझको भारत माँ कहते थे , करते थे मेरी जयकार।
पुलवामा में बेटे मेरे , षडयंत्रों का हुए शिकार।
विकल ह्रदय जननी हूँ मैं , पुत्रों मेरी सुनो पुकार।
विकल्प एक ही है, प्रतिशोध, सत्य यही है करो स्वीकार।
कायरता के कृत्य घिघौने , छद्मयुद्ध की माया को।
चिथड़े-चिथड़े उड़ते देखा, मैंने पुत्रों की काया को।
इस छद्मयुद्ध के जख्मों में , टीस भयानक उठती है।
फ़फ़क-फ़फ़क कर रोते-रोते ही, रीस भयानक उठती है।
समय नहीं है अब केवल वक्तव्यों और…
ContinuePosted on February 17, 2019 at 9:00pm — 3 Comments
हिन्दू - मुस्लिम का कहें, एक रंग है खून.
हिन्दू हिन्दू में फरक, क्यों करता कानून.
सबके दो हैं हाथ, पाँव भी सबके दो हैं.
नाक सभी के एक, सूँघते जिससे वो हैं.
नयन जिसे भी मिले,जगत के दर्शन करता.
कान और मुँह से, सुनता - वर्णन करता.
सात दिन मिले सभी को, हफ्ते में एक समान.
विद्यालय में गुरु सभी को, देता ज्ञान समान.
अन्न नहीं करता देने में, ताकत कोई भेद.
मनु के पुत्र सभी मनुष्य हैं, कहते सारे वेद.
सूरज सबके लिए चमकता, सबको राह दिखाता.
श्वांस सभी पवन से…
Posted on August 26, 2018 at 1:45am — 5 Comments
है अँधेर नगरी चौपट का राज है.
हंसों को काला पानी, कौवों को ताज है.
आईन का मसौदा ऐसा बुना बुजन नें.
घोड़ों की दुर्गति खच्चर पे नाज है.
माज़ी के जो गुलाम हुक्काम हो गए.
शाहाना आज देखो उनके मिज़ाज है.
अंगुश्त-कशी का मुजरिम वो बादशाहे इश्क.
मुमताज जिसकी जिन्दा जमुना का ताज है.
‘हिन्दुस्तान’ कहता हरदम खरी-खरी.
लफ्जे-दलालती बस ग़ज़ल का रिवाज है.
मौलिक एवं अप्रकाशित
Posted on June 7, 2018 at 3:30pm — 5 Comments
Posted on May 18, 2018 at 4:27pm — 4 Comments
aadrneey Gangadyar jee aapke saath mitarta, mera soubhagya hai.thanks
जनाब गंगा धर साहब आदाब, होसला अफज़ाइ का शुक्रिया
good night gangadhar bhai .....aap ka bahut bahut shukriya
आदरणीय गंगा धर भाई जी , मेरी रचनायें आपको अच्छी लगीं जान कर बडी खुशी हुई , हौसला अफज़ाई का दिली शुक्रिया । व्यस्तताओं के कारण देर से जवाब दे पाया , क्षमा चाहता हूँ ।
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