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JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ
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JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
GHAZIABAD (UP)
Native Place
PILKHUWA ,GHAZIABAD
Profession
RETIRED FROM CENTRAL BANK OF INDIA
About me
I HAVE INTEREST IN GEET-NAVGEET

JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ's Blog

थपथपाये हैं हवा ने द्वार मेरे

मित्रों के अवलोकनार्थ एवं अभिमत के लिए प्रस्तुत एक ताज़ा नवगीत

"मौलिक व अप्रकाशित"  -जगदीश पंकज

थपथपाये हैं हवा ने द्वार मेरे

क्या किसी बदलाव के

संकेत हैं ये

फुसफुसाहट,

खिड़कियों के कान में भी

क्या कोई षड़यंत्र

पलता जा रहा है

या हमारी

शुद्ध निजता के हनन को

फिर नियोजित तंत्र

ढलता जा रहा है

मैं चकित गुमसुम गगन की बेबसी से

क्या किसी ठहराव के …

Continue

Posted on August 7, 2015 at 5:30pm — 9 Comments

रंगों के पर्व होली पर

रंगों के पर्व होली पर सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनायें -जगदीश पंकज

उड़ने लगा गुलाल,

अबीर हवाओं में

रंगों का त्यौहार

रंगीली होली है

मस्त हवा के

झोंकों ने अंगड़ाई ले

अंगों पर कैसी

मदिरा बरसाई है

मौसम की रंगीन

फुहारों से खिलकर

बजी बावरे मन में

अब शहनाई है

लगा नाचने रोम-रोम

तरुणाई का

मौसम ने मस्ती की

गठरी खोली है

रंगों की बौछारों ने

संकेत किया

रिश्तों की अनुकूल

चुहल अंगनाई में

जीजा-साली ,कहीं…

Continue

Posted on March 5, 2015 at 11:20pm — 5 Comments

धूमिल सपने हुए हमारे

धूमिल सपने हुए हमारे

रंगहीन सी

प्रत्याशाएँ

सोये-जागे सन्दर्भों की

फैली हैं

मन पर शाखाएँ

 

शंकायें तो रक्तबीज सी

समाधान पर भी

संशय है

अपने पैरों की आहट में

छिपा हुआ अन्जाना

भय है

 

किस-किसका अभिनन्दन कर लें

किस-किसका हम

शोक मनाएँ

 

सांस-सांस में दर्प निहित है

कुछ होने कुछ

अनहोने का

कुछ पाने की उग्र लालसा

लेकिन भय

सब कुछ खोने का

 

अनगिन…

Continue

Posted on February 12, 2015 at 8:30pm — 10 Comments

चीखकर ऊँचे स्वरों में कह रहा हूँ --जगदीश पंकज

चीखकर ऊँचे स्वरों में

कह रहा हूँ

क्या मेरी आवाज

तुम तक आ रही है ?

 

जीतकर भी

हार जाते हम सदा ही

यह तुम्हारे खेल का

कैसा नियम है

चिर -बहिष्कृत हम

रहें प्रतियोगिता से ,

रोकता हमको

तुम्हारा हर कदम है

 

क्यों व्यवस्था

अनसुना करते हुए यों

एकलव्यों को

नहीं अपना रही है ?

 

मानते हैं हम ,

नहीं सम्भ्रांत ,ना सम्पन्न,

साधनहीन हैं,

अस्तित्व तो है

पर हमारे पास…

Continue

Posted on July 10, 2014 at 6:00am — 13 Comments

Comment Wall (10 comments)

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At 11:25am on August 10, 2014, Dr. Vijai Shanker said…
Thak you very much Mr. J.P.Jend Pankaj ji , my mobile no is 9873801440.
Kindly feel free to talk to me anytime .
Regards .
Vijai
At 10:30pm on July 12, 2014, JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ said…

रचना पर स्नेहपूर्ण टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार , Santlal Karun जी।

At 10:32pm on July 10, 2014, JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ said…

रचना पर स्नेहिल अभिमत देकर उत्साह वर्द्धन के लिए हार्दिक आभार डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी

At 12:50pm on July 10, 2014, JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ said…

रचना को पसन्द करने तथा अभिमत प्रकट प्रकट करके उत्साहवर्द्धन के लिए हार्दिक आभार। रचना को माह की सर्वश्रेष्ठ रचना घोषित होने पर आपकी स्नेहपूर्ण शुभकामनाओं हेतु हृदयतल से धन्यवाद  Sushil Sarna जी -जगदीश पंकज 

At 8:17pm on July 9, 2014, Sushil Sarna said…

आदरणीय जगदीश प्रसाद जी माह की सर्वश्रेष्ठ रचना से सम्मानित होने पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 

At 4:12pm on July 8, 2014, JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ said…

आदरणीय बागी जी ,
ओपन बुक्स ऑनलाइन समूह के निर्णय द्वारा मेरे गीत के माध्यम से मुझे मान देने के लिए हृदयतल से अभिभूत हूँ। आभारी हूँ ,कृतज्ञ हूँ। निर्णायक मंडल को हार्दिक धन्यवाद -जगदीश पंकज

At 4:05pm on July 8, 2014, JAGDISH PRASAD JEND PANKAJ said…


गीत पसंद करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद Nilesh Shevgaokar जी। 

At 3:20pm on July 8, 2014, Nilesh Shevgaonkar said…

बधाई 

At 3:19pm on July 8, 2014,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय  जगदीश प्रसाद जिंद पंकज जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी रचना " नवगीत - मैं स्वयं निःशब्द हूँ" को "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" सम्मान के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |
आपको प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस निमित कृपया आप अपना पत्राचार का पता व फ़ोन नंबर admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे | मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई हो |

शुभकामनाओं सहित
आपका
गणेश जी "बागी
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 9:53am on June 23, 2014, Vindu Babu said…

आदरणीय पंकज सर,

आपके आगमन से मंच का महत्व और बढ़ा है।

आज पहली बार आपके पेज पर आयी..अच्छा लगा।

आपका हार्दिक स्वागत...आभार।

सादर

 
 
 

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