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Pooja Singh
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राष्ट्रमंडल खेल : क्या देश की गरिमा बढेगी ?
9 Replies

कहाँ तक सही है ? राष्ट्र मंडल खेल का आयोजन, क्या इस खेल से देश की गरिमा बढ़ेगी ?

Started this discussion. Last reply by abhinav Sep 26, 2010.

 

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शिक्षा (लेख)

शिक्षा का हमारे दैनिक, नैतिक, सामाजिक, व्यावहारिक तथा व्यावसायिक जीवन में बहुत बड़ा महत्व है | जब से मानव सभ्यता विकसित हुई है , तभी से हमारे जीवन में शिक्षा का बहुत बड़ा योगदान रहा है | वैदिक काल में गुरुकुल के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जाती थी तथा गुरु शिष्य परम्परा बनाये रखने के लिए दीक्षांत समारोह का आयोजन किया जाता था | जिसमे शिष्य गुरु को गुरु दक्षिणा देता था | पहले वेदों, पुराणों, शास्त्र ग्रंथो तथा राजनीती शास्त्र, तर्क विज्ञान, की शिक्षा दी जाती थी | लेकिन जैसे - जैसे समय बदलता गया… Continue

Posted on October 25, 2010 at 3:30pm — 3 Comments

बहुत सफल और सार्थक आराधना "जय माता की"

शक्ति की आराधना का पर्व आरंभ हो चुका है. नव दिन तक हम माँ की पूजा अर्चना करेंगे. हमारे यहाँ कन्या को भी देवी के रूप में माना जाता है और इसी लिए हम नवरात्रा के अंतिम दिन कन्या पूजन करने के बाद ही पर्व समाप्त करते हैं, किंतु यह आश्चर्य और दुख की बात है कि जो समाज कन्याओं को देवियों के रूप में पूजता है वही समाज कन्या भ्रूण हत्या का भी अपराधी बनता जा रहा है.



आइए इस पर्व पर हम सब माँ दुर्गा की सौगंध खा कर यह संकल्प लें कि हम ना तो अपने परिवार में कन्या भ्रूण हत्या के दोषी बनेगे और ना ही… Continue

Posted on October 9, 2010 at 12:30am — 4 Comments

दहेज दानव

दहेज का दानव बहुत बड़ा है

मुँह विकराल किये खड़ा है ,

कितना भी रोको नही रुकता यह,

रक्तबीज जैसा अपना आकार किया,

पिताओं की पगड़ी इसने उछाली है,

बेटियों के अरमानो को तार तार किया,

कई बेटियों को इस दानव ने जला दिया,

ताने सुन सुन कर जीना हुआ मुहाल,

जो बेटी दहेज न लेकर आई ससुराल,

उस बेटी का क्या था कसूर,

मारकर घर से उसे निकाल दिया,

कैसी परंपरा जो है सब मजबूर,

देश के युवा अब करो कुछ तुम्ही उपाय,

दहेज दानव जल्द से जल्द मारा… Continue

Posted on September 26, 2010 at 8:30am — 4 Comments

उम्रे तमाम

उम्रे तमाम गुजारी तो क्या किया

इस जीवन से तूने क्या लिया |

इस जीवन को तूने क्या दिया

उम्रे तमाम गुजारी तो क्या किया |

ता उम्र तू रहा इस कदर बेखबर

रही न तुझे अपनी जमीर की खबर |

करता रहा तू मनमानी अपनी

रही न तुझे वक्त की खबर

उम्रे तमाम गुजारी तो क्या किया |

करता रहा तू मेरा - मेरा

नही है , यहा कुछ तेरा - मेरा |

उम्रे तमाम गुजारी तो क्या किया

मनुष्य जन्म तुझे है , किसलिए मिला

इस जन्म को किया क्या सार्थक तूने |

उम्रे तमाम गुजारी… Continue

Posted on September 21, 2010 at 9:35am — 2 Comments

Comment Wall (9 comments)

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At 10:43am on June 30, 2012, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…
 Pooja Singh ji  ,आपको जन्म दिन पर हमारी सपरिवार हार्दिक शुभ 
कामनाए भगवन आपको सतयु जीवन प्रदान कर देश समाज और परिवार में 
रचनातक कार्य करते रहने का सहस प्रदान करे - लक्ष्मण प्रसद लडीवाला
At 10:09am on June 30, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 8:55pm on October 11, 2010, SYED BASEERUL HASAN WAFA NAQVI said…
पूजा जी आदाब

आप की कव्वे रचनायँ बहुत अच्छी लगीं.


कलयुगी मानव,दहेज दानव बहुत अच्छी नाज़्में हैन.सलमत रहिये.
At 11:56pm on September 22, 2010, Julie said…


अपनी दोस्ती से नवाजने का शुक्रिया 'पूजा जी'...!! -जूली :-)
At 11:44pm on September 15, 2010, आशीष यादव said…
thankyou puja ji for add me as friend.
At 3:44pm on September 3, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 10:15pm on September 2, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 6:04pm on September 2, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…
At 4:39pm on September 2, 2010, Admin said…

 
 
 

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