For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

rajni chhabra
  • Female
  • bikaner,rajasthan
  • India
Share on Facebook MySpace

Rajni chhabra's Friends

  • Hari Prakash Dubey
  • Mohinder Kumar
  • Madan Mohan saxena
  • Harish Upreti "Karan"
  • Devendra Pandey
  • बृजेश नीरज
  • Tushar Raj Rastogi
  • ankita singhania
  • अरुन 'अनन्त'
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • राज़ नवादवी
  • mohinichordia
  • Shashi Mehra
  • Atendra Kumar Singh "Ravi"
  • rajendra kumar

rajni chhabra's Groups

 

rajni chhabra's Page

Profile Information

City State
Bikaner,Rajasthan
Native Place
Dehli
Profession
Lecturer in English n Sr consultant @www.numeropath.com
About me
Academician,poetess,translator in five languages,published in several journals of state,national n international repute,including Indian Literature by Sahitya Akedemi n By Bhartiya Avuvad Parishad

rajni chhabra's Photos

  • Add Photos
  • View All

rajni chhabra's Videos

  • Add Videos
  • View All

Rajni chhabra's Blog

क्या फूल ,क्या कलियाँ

यह कविता 10/4/2007 को लिखी थी और आज बहुत भारी मन से आप सब के साथ फिर से शेयर कर रही हूँ/

क्या फूल ,क्या कलियाँ

===============

फिजाओं के रंग

क्यों होने लगे बदरंग

क्या फूल,क्या कलियाँ

ऐय्याशों  के लिए

सभी रंगरलियाँ

किल्क्कारियाँ  बन गयी

सिसकारियाँ

अवाक इंसान

अवाक  भगवान्

हैवानियत की देख हद

निगाहें दंग ,ज़िंदगी परेशान

घर घरोंदे ,रहें,गुलशन

सब बन जायेंगे…

Continue

Posted on December 18, 2012 at 11:00pm — 1 Comment

ज़रा याद करो कुर्बानी

आज़ादी बेमोल नहीं मिलती
नायाब कीमत अदा  करनी पड़ती है
 
सुहागिनों का सिंदूर
बहनों के प्रेम सूत्र
अबोध काया का साया
पिता का दुलार
ममतामयी माँ का
आँचल बिसरा
 
निकल पड़ते…
Continue

Posted on August 15, 2012 at 12:30pm — 3 Comments

क्या शहर ,क्या गाँव

मेरे लिए

क्या शहर ,क्या गाँव

जीवन तपती दुपहरी

नहीं ममता की छाँव

 

गाँव में,भाई को

मेरी देख रख में डाल

माँ जाती ,भोर से

खेती की करने

सार सम्भाल

 

शहर में,बड़ा भाई

जाता है कारखाने

गृहस्थी का बोझ बंटाने

खुद को काम में खपाने

 

कच्ची उम्र की मजबूरी

काम पूरा,मजदूरी मिलती अधूरी

हाथ में कलम पकड़ने की उम्र…

Continue

Posted on May 1, 2012 at 1:00pm — 14 Comments

वामन वृक्ष

वामन वृक्ष 
यूं तो वामन वृक्षों मैं भी
उगते हैं फल फूल और पत्ते 
पर उनमें लहलहाते वृक्षों से उपजे
फल फूलों की सहजता और सरसता कहाँ
कब हैं वो उन्हें  सा महकते
वक़्त से पहले
गर बेटी को ब्याहोगे
 उसका विकास रोक  कर
क्या खुद  सुकून पाओगे
सींचो उस नन्ही बेल को
अपने स्नेह की शीतल छाया से
पोषण दो उसे 
शिक्षा और संस्कार का
पूर्ण रुपें…
Continue

Posted on May 4, 2011 at 3:00pm — 2 Comments

Comment Wall (12 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:30pm on July 3, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

आदरणीया रजनी  जी जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाएं ..प्रभु आप के सारे सुखद सपने पूर्ण करें ..जीवन मंगलमय हो .समाज में उजाला फैलता रहे ..भ्रमर ५ 

  ..भ्रमर ५ 
At 9:05pm on July 3, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 8:24pm on September 8, 2010, Julie said…


रजनी जी हमें अपनी दोस्ती से नवाजने का बहुत बहुत शुक्रिया...!! -जूली :-)
At 11:12pm on August 14, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
दीदी प्रणाम , हिंदी की रचना कृपया मुख्य ब्लॉग मे ही पोस्ट करे "English literature" Group में नहीं |
Thx
At 8:07pm on July 3, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
रजनी दीदी, प्रणाम और जन्म दिन की हार्दिक शुभकामना, ईश्वर आपको लम्बी उम्र प्रदान करे जिससे हम सभी को आपका आशीर्वाद उम्र भर मिलती रहे,
At 7:25pm on July 3, 2010, Neet Giri said…
janam din mubarak ho
At 6:52pm on July 3, 2010, Rash Bihari Ravi said…
दीदी जनम दिन मुबारक हो
At 10:49am on June 4, 2010, Admin said…
रजनी बहन प्रणाम, मैं समझ सकता हू की आप के पास समय की समस्या है, फिर भी एक निवेदन करना चाहता हू , कृपया आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के अन्य लेखको के ब्लॉग पर भी अपने अनुभवी टिप्पणी देकर लेखको के मनोबल को बढ़ाने मे सहायता करने की कृपा करे, हम सभी आपके आभारी रहेंगे,
धन्यबाद सहित आपका अपना ही
ADMIN
OBO
At 11:50pm on May 9, 2010,
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
said…
रजनी जी, माँ शब्द की महिमा वो ही जान सकता है जिस के सर पर माँ का साया ना हो, मैं खुद भी ऐसे चंद बद्किस्मतों में से एक हूँ ! आँखों से गंगा यमुना बह निकली है और रुकने का नाम नहीं ले रही है ! बहुत ही सुंदर लिखा है - शत शत प्रणाम !
At 1:14pm on April 11, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
Pranam Didi,
Aapka "Open Books" parivar mey hardik abhinandan aur swagat hai, umeed hai ki aap apanee upasthiti aur aashirvad sey ham sabhi ka margdarshan kartee rahyegi,
Dhanyabad sahit,Aapka chhota bhai,
Ganesh jee
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service