For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

shashi purwar
  • Female
  • maharashtra
  • India
Share on Facebook MySpace

Shashi purwar's Friends

  • seemahari sharma
  • M Vijish kumar
  • Abhishek Kumar Jha Abhi
  • Sumit Naithani
  • D P Mathur
  • SAURABH SRIVASTAVA
  • किशन  कुमार "आजाद"
  • Hareshkananai
  • कल्पना रामानी
  • anwar suhail
  • aman kumar
  • वीनस केसरी
  • Saurabh Pandey
  • Rana Pratap Singh
  • Pankaj Trivedi
 

shashi purwar's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
maharashtra
Native Place
indore
Profession
creative writer / housewife
About me
creative is my identity

Shashi purwar's Blog

गजल - शशि पुरवार

२१२२ २१२२ २१२

जंग दौलत की छिड़ी है रार क्या

आदमी की आज है दरकार क्या १

जालसाजी के घनेरे मेघ है

हो गया जीवन सभी बेकार क्या२



लुट रही है राह में हर नार क्यों

झुक रहा है शर्म से संसार क्या ३

छल रहे है दोस्ती की आड़ में

अब भरोसे का नहीं किरदार क्या ४

गुम हुआ साया भी अपना छोड़कर

हो रहा जीना भी अब दुश्वार क्या ५



धुंध आँखों से छटी जब प्रेम की

घात अपनों का दिखा गद्दार क्या६

इन…

Continue

Posted on August 18, 2014 at 9:30pm — 8 Comments

नवगीत - शशि पुरवार

हस्ताक्षर की कही कहानी

चुपके से गलियारों ने

मिर्च मसाला , बनती ख़बरें

छपी सुबह अखबारों में.

राजमहल में बसी रौशनी

भारी भरकम खर्चा है

महँगाई ने बाँह मरोड़ी

झोपड़ियों की चर्चा है

रक्षक ही भक्षक बन बैठे है

खुले आम दरबारों में.

अपनेपन की नदियाँ सूखी,

सूखा खून शिराओं में

रूखे रूखे आखर झरते

कंकर फँसा निगाहों में

बनावटी है मीठी वाणी

उदासीनता व्यवहारों में.

किस पतंग…

Continue

Posted on July 10, 2014 at 7:30pm — 13 Comments

गजल - शशि पुरवार

जिंदगी जब से सधी होने लगी
जाने क्यूँ उनकी कमी होने लगी

डूब कर हमने जिया है काम को
काम से ही अब ख़ुशी होने लगी

हारना सीखा नहीं हमने यदा
दुश्मनो में खलबली होने लगी

नेक दिल की बात करते है चतुर
हर कहे अक से बदी होने लगी

चाँद पूनम का खिला जब यूँ लगा
यादें दिल की फिर कली होने लगी


------- शशि पुरवार

मौलिक और अप्रकाशित

Posted on March 22, 2014 at 9:30pm — 11 Comments

सार ललित छंद -- शशि पुरवार

छन्न पकैया छन्न पकैया ,छंदो का क्या कहना

एक है हीरा दूजा मोती, बने कलम का गहना

छन्न पकैया छन्न पकैया ,राग हुआ है कैसा

प्रेम रंग की होली खेलो ,दोन टके का पैसा



छन्न पकैया छन्न पकैया ,रंग भरी पिचकारी

बुरा न मानो होली है ,कह ,खेले दुनिया सारी

छन्न पकैया छन्न पकैया , होली खूब मनाये

बीती बाते बिसरा दे ,तो , प्रेम नीति अपनाये



छन्न पकैया छन्न पकैया ,दुनिया है सतरंगी

क्या झूठा है क्या…

Continue

Posted on March 16, 2014 at 10:30pm — 3 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 3:37pm on July 6, 2013,
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
said…

प्रिय शशि जी 

आपसे सविनय आग्रह है कि आप कृपया महोत्सव में टिप्पणी देवनागिरी लिपि में टाईप करके पोस्ट करें 

सादर.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service