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बहुत सुन्दर संजोग है कि मूर्ख दिवस पर एक ऐसी साइट का प्रादुर्भाव हुआ जो साहित्यिक मूढ़ता को तोड़ने का कार्य करता है ,ओ बी ओ सफलता की नई ऊंचाइयों को छुए ऐसी मेरी कामना है।।Continue
Started Apr 1, 2013
( आपकी सेवा में मेरी ताज़ी रचना )
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वक्त आने पे जो न संभल पाते हैं |
फिर शहर खंडहर में बदल जाते हैं ||…
ContinuePosted on March 31, 2013 at 8:30am — 2 Comments
शीशे में देखकर चेहरा ;बार -बार लजाये हैं ।
कभी काजल, कभी बिंदिया बार -बार सजाये हैं ॥
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सोचते अपने दिल से ;दुनिया की नजर रहे।
बहुत मिहनत…
ContinuePosted on February 22, 2013 at 8:30am — 4 Comments
वसंत जाने कहाँ उड़ गया है ...।
मौसम का मिजाज बिगड़ गया है ।।
बारिस ने ऐसा कहर ढा दिया है ;
कोयल से सुर ही बिछड़ गया है ...।।
बर्फ इतने गिरे, मेघ रुकते नही ;
जैसे धरा से गगन झगड़ गया है ।।
जितना दूषित जल, उतना ही पवन ;
बनकर दानव प्रदूषण अकड़ गया है ...।।
छोड़ विज्ञान की, बातें भगवान् की
अपना ही मंदिर उजड़ गया है ......।।
Posted on February 7, 2013 at 11:00pm — 3 Comments
सेवा का थोड़ा व्रत रख लें
सेवा का मीठा फल चख लें ।।
यह दुनिया खुद की मारी है ,
खुदगर्ज यहाँ हर मानव है ,
अपने छोटे पेट की खातिर
कुकर्म करे यह नित नव है ।
गैरों को थोडा अपना कह लें --सेवा का मीठा फल चख लें ।।
जो देख रहे वह दुनिया नही ,
यह तो बस केवल मरघट है ,
कहने वालेतो कहते ही रहेंगे
यहाँ लोभ-मोह का जमघट है ।
इससे तो अब थोड़ा बच लें ----सेवा का मीठा फल चख लें ।।
गीता-गुरु को भुला कर…
ContinuePosted on December 25, 2012 at 8:58am — 6 Comments
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