For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

upasna siag
  • Female
  • abohar punjab
  • India
Share on Facebook MySpace

Upasna siag's Friends

  • vinay tiwari
  • Priyanka Pandey
  • Madan Mohan saxena
  • यशोदा दिग्विजय अग्रवाल
  • Hareshkananai
  • बृजेश नीरज
  • Tushar Raj Rastogi
  • Neelima Sharma Nivia
  • वेदिका
  • Meena Pathak
  • Sarita Bhatia
  • Dr.Ajay Khare
  • अरुन 'अनन्त'
  • deepti sharma
  • sanjiv verma 'salil'
 

upasna siag's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
abohar punjab
Native Place
abohar
Profession
house wife

Upasna siag's Blog

एक कली मुस्काई ...

सोनाली हर बार यानि पिछले आठ वर्षों से अपना जन्म -दिन , घर के पास के पार्क में खेलने वालों बच्चों के साथ ही मनाती है। उनके लिए बहुत सारी  चोकलेट खरीद कर उनमे बाँट देती है।आज भी वह पार्क की और ही जा रही है।उसे देखते ही बच्चे दौड़ कर  पास आ गए।और वह ...! जितने बच्चे उसकी बाँहों में आ सकते थे , भर लिया। फिर खड़ी हो कर  चोकलेट का डिब्बा खोला और सब के आगे कर दिया।बच्चे जन्म-दिन की बधाई देते हुए चोकलेट लेकर खाने लगे।

 " एक बच्चा इधर भी है ,  उसे भी चोकलेट मिलेगी क्या ...?" सोनाली के पीछे से…

Continue

Posted on July 1, 2015 at 5:30pm — 9 Comments

स्कूटर पर जाती महिला

स्कूटर पर जाती महिला

का सड़क से गुज़रना  हो

या  गुज़रना हो

काँटों भरी संकड़ी गली से ,

दोनों ही बातें

एक जैसी ही तो है।

लालबत्ती पर रुके स्कूटर पर

बैठी महिला के

स्कूटर के ब्रांड को नहीं देखता

कोई भी ...

देखा जाता है तो

महिला का फिगर

ऊपर से नीचे तक

और बरसा  दिए जाते हैं फिर

अश्लील नज़रों के जहरीले कांटे ..

काँटों की  गली से गुजरना

इतना मुश्किल नहीं है

जितना…

Continue

Posted on December 20, 2013 at 9:00pm — 12 Comments

क्यूंकि तुम प्रेम हो और प्रेम मैं भी हूँ .......

मैं प्रेम हूँ 

तुम भी तो प्रेम ही हो 

प्रेम से हट कर 

क्या नाम दूँ 

तुम्हें भी और मुझे भी ...

कितनी सदियों से 

और जन्मो से भी 

हम साथ है 

जुड़े हुए एक-दूसरे के 

प्रेम में 

हर जन्म में तुमसे 

मिलना हुआ 

लेकिन मिल के भी मेल 

ना हो सका 

प्रेम फिर भी रहा 

तुम में और मुझ में भी 

चलते जा रहें है 

समानांतर रेखाओं की तरह 

साथ हो कर भी साथ…

Continue

Posted on February 28, 2013 at 3:30pm — 17 Comments

बदलती नज़रें ...( लघु कथा )

उर्वशी की बाहर पुकार हो रही थी। वह  शीशे  के आगे खड़ी अपना चेहरा संवारती -निहारती कुछ सोच में थी। तभी फिर से उर्वशीईइ .....! नाम की पुकार ने उसे चौंका दिया।

उर्वशी उसका असली नाम तो नहीं था पर क्या नाम था उसका असल में , वह भी नहीं जानती !

अप्सराओं की तरह बेहद सुंदर रूप ने उसका नाम उर्वशी रखवा दिया और भूख -गरीबी और मजबूरी ने उसे स्टेज -डांसर बना दिया। वह छोटे - बड़े समारोह या विवाह समारोह में डांस कर के परिवार का भरण -पोषण करती है अब , आज-कल।

गन्दी , कामुक , लपलपाती नज़रों के…

Continue

Posted on February 12, 2013 at 5:24pm — 19 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:49pm on February 22, 2013, बृजेश नीरज said…

आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!

At 7:35pm on January 24, 2013, sanjiv verma 'salil' said…

उपासबा जी
आपकी दोनों रचनाएँ पढ़ीं. आप की भाव प्रवणता, शब्द चयन और बिम्बादि उज्जवल भविष्य के प्रति आशान्वित करते हैं. बधाई.

At 3:23pm on January 19, 2013, Dr Dilip Mittal said…

शुक्रिया ,

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service