For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बृजेश कुमार 'ब्रज''s Blog – January 2017 Archive (3)

ग़ज़ल...पत्ते चिनारों के

बहरे हज़ज़ सालिम मुसम्मन

1222 1222 1222 1222

सुनाऊँ किस तरह किस्से बता दे खाकसारों के

चली ऐसी हवा की झर गये पत्ते चिनारों के



हुईं क्या हैं खतायें आसमां से चाँद ने पूँछा

कि सारी रात क्यों बहते रहे आँसू सितारों के



तुम्हारे साथ लौटी है दरो दीवार पर रौनक

तड़फते रह गये हैं नीव के पत्थर मिनारों के



चमन के सुर्खरू मंज़र घुली खुशबू फिजाओं में

ये क्या दस्तूर है की देखना अब गम बहारों के



वहीँ खुशियाँ वहीँ पे गम अज़ब आलम विदाई का

शिकन… Continue

Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 21, 2017 at 9:30am — 16 Comments

कविता..मेरे मुस्कुराने का कारण हो तुम

मेरे मुस्कुराने का कार हो तुम

तन्हाई में गुनगुनाने का कार हो

तपती दोपहर में बरसते सावन में

भीड़ में और दूर तलक

वीरान उदास राहों में

कभी फूलों भरी और

कभी छितराए हुए काँटों में

बेपरवाह चलते जाने का कार हो

जब कभी तन्हाई मुझे सताती है

दिल को झकझोरती है और

आत्मा को जलाती है

लेकिन वो भूल जाती है

उसके साथ-साथ तुम्हारी याद

हर लम्हा मुझे सहलाती है

और अहसास ये होता

तुम मेरे साथ हो…

Continue

Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 15, 2017 at 5:30pm — 6 Comments

ग़ज़ल...बे-रंग-ओ-बू है ये ज़िंदगानी

121 22 121 22 121 22 121 22

बशर परेशां दरकतीं राहें पहाड़ सी ज़िन्दगी हुई है

कदम जहाँ सकपका के रक्खा वहीँ ज़मीं दलदली हुई है



बे-रंग-ओ-बू है ये ज़िंदगानी हँसी सा कोई मक़ाम दे दो

कि ये उदासी मेरे लवों पे कई दिनों से बसी हुई है



जिन्हें संभाला जिन्हें सँवारा वो ख्वाब जाने क्यों रूठ बैठे

सुबह से पलकों पे ओस आई औ आँख भी शबनमी हुई है



कफ़स से तो हम निकाल लाये मगर छुपाया ज़माने भर से

कि शूल बन कर वही सदा अब ह्रदय के अन्दर चुभी हुई है



अज़ब… Continue

Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 5, 2017 at 9:30am — 23 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service