Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 21, 2017 at 9:30am — 16 Comments
मेरे मुस्कुराने का कारण हो तुम
तन्हाई में गुनगुनाने का कारण हो
तपती दोपहर में बरसते सावन में
भीड़ में और दूर तलक
वीरान उदास राहों में
कभी फूलों भरी और
कभी छितराए हुए काँटों में
बेपरवाह चलते जाने का कारण हो
जब कभी तन्हाई मुझे सताती है
दिल को झकझोरती है और
आत्मा को जलाती है
लेकिन वो भूल जाती है
उसके साथ-साथ तुम्हारी याद
हर लम्हा मुझे सहलाती है
और अहसास ये होता
तुम मेरे साथ हो…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 15, 2017 at 5:30pm — 6 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 5, 2017 at 9:30am — 23 Comments
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