बेवजह बात जिरह करके बढाता क्यूँ है एक मासूम पे इल्जाम लगाता क्यूँ है
खोल देती हैं सभी राज पनीली आँखें फिर जमाने से बशर दर्द छुपाता क्यूँ है
…
Added by rajesh kumari on January 24, 2016 at 6:03pm — 7 Comments
२१२२ १२१२ २२
भूख हड़ताल बारहा रखिये
हुक्मरानों पे दबदबा रखिये
बह रही है हवा सियासत की
किस तरफ बस यही पता रखिये
शह्र में चैन हो न हो ठंडक
गर्म मुद्दा कोई नया रखिये
सूखने पर कोई न पूछेगा
जख्म दिल का सदा हरा रखिये
लोग मरते रहें भले पीकर
हर गली एक मयकदा रखिये
क्या करेगा धुआँ धुआँ ही तो है
आप बेख़ौफ़ सिलसिला रखिये
इश्क के साथ दिल्लगी करना
नाम फिर…
ContinueAdded by rajesh kumari on January 18, 2016 at 9:40pm — 14 Comments
उड़ाया किसी ने किसी ने कमाया मुझे क्या
कहाँ अब्र बरसा कहाँ धूप छाया मुझे क्या
जहाँ पे खड़ा था वहीँ पे खड़ा हूँ कसम से
पुराना गया है नया साल आया मुझे क्या
सदा ये सलामत रहें पाँव मेरे सफ़र में
ये पेट्रोल डीजल बढ़े या किराया मुझे क्या
नया साल आया मची हाय तौबा, बला से
कहाँ कुछ करिश्मा खुदा ने दिखाया मुझे क्या?
न मेरा मुकद्दर हुआ टस से मस तो फिर क्यूँ
वही गीत गाऊँ उन्होंने जो गाया मुझे…
ContinueAdded by rajesh kumari on January 4, 2016 at 12:30pm — 18 Comments
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