"साहब इस डिब्बे में एक आदमी अचेत पड़ा है,शायद जहरखुरानी का शिकार है " रेलवे पुलिस का कर्मचारी बोला |
"देख अपने लिए भी कुछ छोड़ा है या सब ले गए ?- अफसर
"सब ले गए साहब "- कर्मचारी
"कहता हूँ ,सालों से किसी की चीज मत खाया करो ,छोड़ ये सब चल एक कप चाय पिला "- अफसर कहते हुए बाहर निकल आते हैं |
"मौलिक व् अप्रकाशित "
Added by maharshi tripathi on January 19, 2015 at 3:00pm — 16 Comments
हम तुम्हारे थे पर तुम क्यूँ समझी नही
बेवजह सबकी बातों में उलझी रही
संदेहात्मक परिस्थिति भी सुलझी नही
तुम से जुड़ना ही मेरा गुनाह हो गया
मोहब्बत इस ज़माने में गुनाह हो गया |
तुम से मिलकर फ़कीर दिल भी राजा हुआ
मन का मुरझाया फूल भी ताजा हुआ
मेरे हर दुःख-दर्द का भी जनाजा हुआ
तुम्हारा पास आना भी गुनाह हो गया
मोहब्बत इस ज़माने में गुनाह हो गया |
तुमने दिए जो जख्म अब वो भरते नही
मेरी सांसे भी रुकने से अब तो डरते नही
मर चुके जो…
Added by maharshi tripathi on January 5, 2015 at 6:53pm — 8 Comments
बीते वर्षों में जो भी मिला है मुझे
नहीं उससे कोई गिला है मुझे
नयन नीर मिले कुछ पीर मिले
दिल के राजा हैं ऐसे फ़कीर मिले
इन्हें राजा बना दें नया साल आया
खुशियाँ बिछा दें नया साल आया|
टुकड़े-टुकड़े किये जिनके सपनों को मैंने
खंडित किया जिनके अपनों को मैंने
व्यतित वर्ष में जिनका भी दिल दुखाया
हँसता हुआ मैंने जो महफ़िल जलाया
हँसी…
Added by maharshi tripathi on January 3, 2015 at 6:51pm — 7 Comments
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