आईने में एक प्रतिबिम्ब
खड़ा है मौन !
आँखों के पीछे से
आवाज आई - कौन ?
है कौन यह अपरिचित?
क्या है यह अपना मीत ?
यह कैसी है संवेदना?
यह किसकी है सदा ?…
Added by Anwesha Anjushree on February 3, 2013 at 7:00pm — 11 Comments
हल्की- सी पवन क्या चली..
पीपल के बातुनी पत्तों की बातें ही चल पड़ी !
नीम के पत्ते थोड़े से अनुशासन में रहकर हिले ,
और सखुए के पत्तों ने..
पवन के पुकार की कर दी अनसुनी !
चिड़ियों की शुरू हुई चहल पहल..
सबसे छोटी चिड़िया ने की पहल ,
काम कम पर शोर ज्यादा ,
सारे भुवन में उसने मचाई हलचल !
तिमिर ने अपना आँचल समेटा ,
रवि ने ली जम्हाई,
तारे भी थके से थे,
उन्होंने अपनी बाती बुझाई !
शशि को तो मही से है प्रेम ..
वह तो है अलबेला…
Added by Anwesha Anjushree on February 3, 2013 at 7:00pm — 10 Comments
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