(मफऊल -फाइलात -मफाईल -फाइलुन )
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शौक़े वफ़ा में ग़म न उठाएँ तो क्या करें |
वादा वफ़ा का हम न निभाएँ तो क्या करें |
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मजबूर हो के हो गया दीवाना जिनका दिल
अब जान भी न उनपे लुटाएँ तो क्या करें |
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गैरों की बात हो तो उसे कर दें दर गुज़र
पर हम पे ज़ुल्म अपने ही ढाएँ तो क्या करें|
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उम्मीद जिसके आने की न ज़िंदगी में हो
उसको न अपने दिल से भुलाएँ तो क्या करें |
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बैठे हुए हैं सामने महफ़िल में गीब्ती
उन…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on February 25, 2018 at 9:00pm — 6 Comments
(मफाईलुन-मफाईलुन-फऊलन )
जो अज़मे तर्के उल्फ़त कर रहा है|
ये दिल फिर उसकी हसरत कर रहा है |
लगाए ज़ख़्म देने वाला मरहम
ये दिल यूँ ही न हैरत कर रहा है |
वफ़ा मिलती कहाँ है हुस्न में वो
जिसे पाने की जुरअत कर रहा है |
दिले नादां दगा जिसकी है फ़ितरत
उसी से तू महब्बत कर रहा है |
मरीज़े इश्क़ की लौटी हैं साँसें
कोई शायद अयादत कर रहा है |
मिलेंगे हश्र में यह बोल कर वो
मुझे कूचे…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on February 21, 2018 at 8:30pm — 12 Comments
(फाइलातुन -फइलातुन- फइलातुन-फेलुन )
दूर माशूक़ से आशिक़ कहाँ जाना चाहे |
कूचये यार में वो अपना ठिकाना चाहे |
मैं ही आया हूँ नहीं सिर्फ़ परखने क़िस्मत
उन को तो अपना हर इक शख्स बनाना चाहे |
थाम के हाथ जो देता हो हमेशा धोका
कौन उस शख्स से फिर हाथ मिलाना चाहे |
फितरते शमअ जलाना है तअज्जुब है मगर
जान परवाना वहाँ फिर भी लुटाना चाहे |
मुफ़लिसी के हैं यह मारे हुए ज़ालिम वरना
तेरी दहलीज़ पे सर कौन…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on February 12, 2018 at 12:30pm — 23 Comments
ग़ज़ल (मुझको अपना बना कर दगा दे गया )
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(फाइलुन-- फाइलुन--फाइलुन--फाइलुन)
कोई उल्फ़त का बहतर सिला दे गया |
मुझको अपना बनाकर दगा दे गया |
जो खता मैं ने की ही नहीं प्यार में
उफ़ मुझे वो उसी की सज़ा दे गया |
दास्ताँ मैं तबाही की कैसे कहूँ
वो मुझे प्यार का वास्ता दे गया |
दूर यूँ मौत से कब हुई ज़िंदगी
कोई जीने की मुझको दुआ दे गया…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on February 2, 2018 at 10:43pm — 10 Comments
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