Added by नाथ सोनांचली on February 22, 2017 at 1:00pm — 13 Comments
Added by नाथ सोनांचली on February 19, 2017 at 2:53pm — 26 Comments
क्या थे कल तुम आज हुए क्या यही बताने आया हूँ |
अंधकार में सोयी तेरी रूह जगाने आया हूँ ||
याद अतीत करो अपना जब तुम तूफान उठाते थे |
सुनकर बस इक तेरी आहट अरिदल हिय थर्राते थे ||1||
पत्थर भी साक्षी हैं तेरे, उन सच्चे बलिदानों के |
मातृभूमि पर मरने वाले, बांका वीर जवानों के ||
पूर्वज मुट्ठी भर थे लेकिन लाखों पर वे भारी थे |
पलभर में दुश्मन नष्ट किये जो बने महामारी थे ||2||
इसी धरा पर कोई बाला अग्नि चिता पर लेटी थी |
वक़्त पड़ा तब शीश कटाने…
Added by नाथ सोनांचली on February 17, 2017 at 7:30am — 6 Comments
Added by नाथ सोनांचली on February 12, 2017 at 2:30pm — 12 Comments
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