हल्की फुल्की गीतिका(गजल)(16-16)
सर्दी की हैं जान पकौड़े
और बारिश की शान पकौड़े
पढ़-लिखकर अब क्या करना है?
जब देते सम्मान पकौड़े।
रोटी गर तुम पाना चाहो
तलो कढ़ाई तान पकौड़े।
बख्श के इज्जत हम लोगों को
करते हैं अहसान पकौड़े।
तेज मसाला प्याज हो महँगा
खा ले क्या इंसान पकौड़े।
'राणा' मय के साथी अच्छे
बस जुमला ना मान…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on February 25, 2018 at 12:30pm — 3 Comments
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