ज़ाहिर है पाक साफ़ तख़य्युल ख़राब है,
चेहरा तो चाँद सा है मगर दिल ख़राब है।
कहते हैं मुझसे चीख़ के रंजो मलाले दिल,
राहें तेरी हसीन थी मन्ज़िल ख़राब है।
अपनी अना के ख़ोल में जो खुद छुपा रहा,
उसने भी अलम दे दिया महफिल खराब है।
करते हैं शेख़ जी भी यहाँ ऐबदारियाँ,
इस दौर में तन्हाँ नहीं बातिल ख़राब है।
इक राह आख़िरी थी बची वो भी खो गई,
लगता है ये नसीब मुकम्मिल ख़राब है।
इक दौर में बुलन्दी मेरी…
ContinueAdded by इमरान खान on February 12, 2012 at 1:10pm — 7 Comments
हमनशीं राह पे बस और ना छल दो मुझको,
मुझे सीने से लगाओ या मसल दो मुझको।
मसनुई प्यार से अच्छा है के नफरत ही करो,
शर्त बस ये है के नफरत भी असल दो मुझको।
दिले बीमार ने बस कोने मकाँ माँगा है,
मेरी चाहत ये कहाँ ताजो महल दो मुझको।
मेरे बिगड़े हुए हालात में तुम आ जाओ,
वक़्त ए आखिर है के दो पल तो सहल दो मुझको।
डबडबाई हुई आँखों से न रुखसत करना,
बड़ा लम्बा है सफर खिलते कँवल दो मुझको।
Added by इमरान खान on February 8, 2012 at 2:46pm — 10 Comments
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