For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Naveen Mani Tripathi's Blog – March 2017 Archive (5)

पनघट भी ज़हरीला होगा

22 22 22 22



चाँद बहुत शर्मीला होगा ।

थोड़ा रंग रगीला होगा ।।



यादों में क्यों नींद उडी है।

कोई छैल छबीला होगा ।।



रेतों पर जो शब्द लिखे थे ।

डूब गया वह टीला होगा ।।



ख़ास अदा पर मिटने वालों ।

पथ आगे पथरीला होगा ।।



जिसने हुस्न बचाकर रक्खा ।

हाथ उसी का पीला होगा ।।



ज़ख़्मी जाने कितने दिल हैं ।

ख़ंजर बहुत नुकीला होगा ।।



मत उसको मासूम् समझना ।

दिलवर बहुत हठीला होगा ।।



बिछड़ेंगे जीवन के… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on March 27, 2017 at 6:51pm — 1 Comment

ख़त उसका भी आता होगा

22 22 22 22

मुद्दत से वह ठहरा होगा ।

रिश्ता शायद दिल का होगा ।।



सच कहना था गैर ज़रूरी ।

छुप छुप कर वह रोता होगा ।।



ढूढ़ रहा है तुझको आशिक।

नाम गली में पूछा होगा ।।



इल्म कहाँ था इतना उसको ।

अपना गाँव पराया होगा ।।



चेहरा देगा साफ़ गवाही।

जैसा वक्त बिताया होगा ।।



दाग मिलेगा गौर से देखो ।

चिलमन अगर उठाया होगा ।।



मैंने उसको याद किया है ।

खत उसका भी आता होगा ।।



यूँ ही कब निकले हैं आँसू… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on March 27, 2017 at 2:37pm — 9 Comments

ग़ज़ल

221 1222 221 1222



इक जख़्म पुराना था फिर जख़्म नया दोगे ।

मासूम मुहब्बत है कुछ दाग लगा दोगे ।।



कमजर्फ जमाने में जीना है बहुत मुश्किल ।

है खूब पता मुझको दो पल में भुला दोगे ।।



एहसान करोगे क्या बेदर्द तेरी फ़ितरत ।

बदले में किसी भी दिन पर्दे को उठा दोगे ।।



कैसे वो यकीं कर ले तुम लौट के आओगे ।

इक आग बुझाने में इक आग लगा दोगे ।।



आदत है पुरानी ये गैरों पे करम करना ।

अपनों की तमन्ना पर अफ़सोस जता दोगे ।।



मजबून… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on March 19, 2017 at 5:23pm — 7 Comments

ग़ज़ल: कैसे कह दूँ मैं अलविदा तुझसे

2122 1212 22

कैसे कह दूँ मैं अलविदा तुझसे ।

चैन आया है हर दफ़ा तुझसे ।।



इक सुलगती हुई सी खामोसी ।

इक फ़साना लिखा मिला तुझसे ।।



वो इशारा था आँख का तेरे ।

दिल था पागल छला गया तुझसे ।।



भूल जाती मेरा तसव्वुर भी ।

क्यूँ हुई रात भर दुआ तुझसे ।।



बेखुदी में जो इश्क कर बैठा ।

उम्र भर बस वही जला तुझसे ।।



कर लूँ कैसे यकीन वादों पर ।

कोई वादा कहाँ निभा तुझसे ।।



कुछ रक़ीबों से गुफ्तगूं करके ।

तीर वाज़िब…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on March 7, 2017 at 11:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल अब्रे जहराब से बरसा है ये कैसा पानी

वज़्न - 2122 1122 1122 22/112



अब्रे जहराब से बरसा है ये कैसा पानी ।

भर गया मुल्क की आँखों में हया का पानी ।।



मिट ही जाए न कहीं शाख जे एन यू की अब ।

आइये साफ़ करें मिल के ये गन्दा पानी।।



मन्नतें उन की हैं हो जाएं वतन के टुकड़े ।

सर के ऊपर से निकल जाए न खारा पानी ।।



कुछ हैं जयचन्द सुख़नवर जो खुशामद में लगे ।

बेच बैठे हैं जो इमानो कलम का पानी ।।



आलिमों का है ये तालीम ख़ता कौन कहे ।

ख़ास साजिश के तहत हद से गुजारा पानी… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on March 6, 2017 at 10:30pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
14 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
14 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
15 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service