212 212 212 212
मुद्दतों बाद फिर मुस्कुराना रहा ।
आज मौसम बड़ा आशिकाना रहा ।।
आप आये यहां ये थी किस्मत मेरी ।
इक मुलाकत से दिन सुहाना रहा ।।
मुफ़लिसी में सभी छोड़ कर चल दिये ।
इस तरह से मेरा दोस्ताना रहा ।।
वो मुकर ही गए आज पहचान से ।
जिनके घर तक मेरा आना जाना रहा ।।
आपकी इक अदा कर गई है असर ।
आपका तो गज़ब का निशाना रहा ।।
जाम उसने कहा हुस्न को देखकर ।
इश्क़ में तजरिबा कुछ सयाना रहा ।।
कह दिया है खुदा उसने महबूब को ।
उसका अंदाज तो सूफियाना रहा ।।
क्या करेंगे मेरा हाल अब पूछकर ।
कोई रिश्ता कहाँ अब पुराना रहा ।।
अजनबी बनके गुजरें हैं वो आज फिर ।
याद उनको कहाँ वो ज़माना रहा ।।
मान लूँ कैसे उनको खबर ही नहीं ।
बेसबब क्या नजर का झुकाना रहा ।।
दौलते हुस्न सब को मयस्सर कहाँ ।
आपके पास ही यह खज़ाना रहा ।।
तोड़ कर दिल मेरा वो चले जा रहे ।
कल तलक जिनका दिल में ठिकाना रहा ।।
--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
Comment
बहुत खूब
अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय त्रिपाठी जी..सादर
आ0 कबीर सर नमन । चेक करता हूँ सर।
आ0 लक्ष्मण धामी साहब आभार
आ0 रक्षिता सिंह जी आभार ।
हार्दिक बधाई
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन कई अशआर में रदीफ़ से इंसाफ़ नहीं हो सका, इसे जांचने का बहतर तरीक़ा ये है कि अपनी कही हुई पंक्ति को गद्ध में पढ़के देख लें ।
आदरणीय नवीन जी, बहुत ही खूबसूरत गज़ल ।
दिलीमुबारकबाद कुबूल करें।
बहुत बहुत शुक्रिया मु0 आरिफ़ साहब ।
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,
बढ़िया अश'आरों से सुसज्जित ग़ज़ल । बेहतरीन शे'र । हर शे'र कुछ कहता है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online