चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?
तुम सुंदर हो , तुम भोले हो
नटखट तुम हो बहुत सलोने ।
रूठ - रूठ जाते क्यूँ मुझसे ?
छुप छुप कर बादल के कोने ।
तुम बादल से झांक झांक कर, अपना रूप दिखाते क्यूँ हो
चाँद मुझे तरसाते क्यूँ हो ?
मुझसे स्नेह नहीं है, मानूँ –
तुम छुप जाओ नज़र न आओ ।
चंद्र बदन ढँक लो तुम अपना
मेरी बगिया नज़र न आओ ।
आँख मिचौली खेल खेल कर, रह रह मुझे रिझाते क्यूँ हो
चाँद मुझे…
ContinueAdded by S. C. Brahmachari on March 31, 2014 at 5:00pm — 8 Comments
विजय – पराजय
वह जो मैंने सपने मे देखा
सोने की गाय
कुतुबमीनार पर घास चर रही थी , और –
नीचे ज़मीन पर बैठा कोई ,
सूखी रोटियाँ तोड़ रहा था ।
अचानक कुतुब झुकने लगा
मुझे ऐसा लगा, जैसे -
वह झुक कर स्थिर हो जाएगा
पीसा के मीनार की तरह
और बनेगा
संसार का आठवाँ आश्चर्य ।
पर, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ
वह धराशायी हो गया
गाय कहाँ गयी , कुतुब कहाँ गया
कह नहीं सकता
किन्तु सूखी…
ContinueAdded by S. C. Brahmachari on March 26, 2014 at 9:30pm — 9 Comments
सौतेली माँ
जब मैं छोटा था
भूख से तड़पता था
लेकिन अब –
वो हर वक्त पूछती है
बेटा खाना खाओगे !
.
पुजारिन
करबध्द खड़ी है
न जाने कब से ?
मीरा की तरह
और , कन्हैया –
किसी राधा के साथ
रास रचाने
निकल गए हैं ।
--- मौलिक एवं अप्रकाशित ---
Added by S. C. Brahmachari on March 23, 2014 at 8:00pm — 8 Comments
आया लो फागुन का मौसम
आया लो फागुन का मौसम, मुझको पागल हो जाने दो !
वासंती बयार ने तेरे -
कोमल कुंतल को बिखराए,
गजब ढा रही तेरी बिंदिया-
गालों पर फागुन छा जाये ।
तेरा बदन गुलाल हुआ , अपनी ज़ुल्फों मे खो जाने दो
आया लो फागुन का मौसम, मुझको पागल हो जाने दो !
फागुन के मौसम मे तुम पर
फूलों की बरसात हुयी है,
अंग अंग फागुनी हुआ ,और –
कामदेव की दुआ हुयी है।
कैसे संयम करूँ प्रिये…
ContinueAdded by S. C. Brahmachari on March 17, 2014 at 10:30pm — 4 Comments
सीमाओं मे मत बांधो
सीमाओं मे मत बांधो, मैं बहता गंगा जल हूँ ।
गंगोत्री से गंगा सागर
गजल सुनाती आई
गंगा की लहरों से निकली –
मुक्तक और रुबाई ।
भावों मे डूबा उतराता , माटी का गीत गजल हूँ
सीमाओं मे मत बांधो , मैं बहता गंगा जल हूँ ।
यमुना की लहरों पर –
किसने प्रेम तराने गाये ?
राधा ने कान्हा संग –
जाने कितने रास रचाए ?
होंगे महल दुमहले कितने, मैं…
ContinueAdded by S. C. Brahmachari on March 8, 2014 at 5:14pm — 15 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |