सरसी छंद
वृन्दावन की ले पिचकारी,बरसाने का रंग|
अंग अंग धो डालो पीकर ,महादेव की भंग|
राधा जैसी पावनता ले ,कान्हा जैसा प्यार|
बरसाओ पावन रंगों की ,रिमझिम मस्त फुहार|
चन्दा से लेकर कुछ चाँदी ,औ सूरज से स्वर्ण|
केसर की क्यारी से चुनकर ,केसरिया नव पर्ण|
सच्चाई मन की अच्छाई ,साथ मिलाकर घोट|
पावन रंग बनाना सच्चा ,नहीं मिलाना खोट|
द्वेष क्लेश से मैले मुखड़े ,जग में मिलें अनेक|
भूल हरा केसरिया आओ ,हों जाएँ सब…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 13, 2017 at 7:29pm — 14 Comments
११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२
भँवरे कलियाँ तरु झूम उठें जब फाग बयार करे बतियाँ|
दिन रैन कहाँ फिर चैन पड़े कतरा- कतरा कटती रतियाँ|
कविता, वनिता, सविता, सरिता ढक के मुखड़ा छुपती फिरती|
जब रंग अबीर लिए कर में निकले किसना धड़के छतियाँ|…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 6, 2017 at 3:19pm — 18 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
कितने रिश्ते तोड़ आई तल्ख़ मनमानी मेरी
क्यूँ गवारा हो किसी को अब परेशानी मेरी
शमअ के पहलू में रख कर जान परवाना कहे
इक कहानी खुद लिखेगी अब ये कुर्बानी मेरी
रूबरू आये तो धोका दे गया मेरा नकाब
चुगलियाँ कर बैठी आँखें और हैरानी मेरी
टांक दो दिलकश सितारे कहकशाँ से तोड़कर
बोलती है अब्र से देखो चुनर धानी मेरी
शह्र भर में कू ब कू तक हो गई रुस्वाइयाँ
कर गई बर्बाद मुझको…
ContinueAdded by rajesh kumari on March 1, 2017 at 11:30am — 24 Comments
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