ग़ज़ल ,(तेरे चहरे की जब भी अर्गवानी याद आएगी।)
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तेरे चहरे की रंगत अर्गवानी याद आएगी,
हमें होली के रंगों की निशानी याद आएगी।
तुझे जब भी हमारी छेड़खानी याद आएगी
यकीनन यार होली की सुहानी याद आएगी।
मची है धूम होली की जरा खिड़की से झाँको तो,
इसे देखोगे तो अपनी जवानी याद आएगी।
जमीं रंगीं फ़ज़ा रंगीं तेरे आगे नहीं कुछ ये,
झलक इक बार दिखला दे पुरानी याद आएगी।
नहीं कम ब्लॉग में मस्ती…
ContinueAdded by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on March 2, 2018 at 11:30am — 9 Comments
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