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Dr. Chandresh Kumar Chhatlani's Blog – March 2016 Archive (7)

गद्दार (लघुकथा)

"ये लो इस गद्दार की लाश" एक सैनिक उस घर के बाहर खड़ा होकर चिल्लाया| आवाज़ सुनकर मोहल्ले के लोगों की भीड़ जमा हो गयी|

"इनका परिवार पुश्तों से सेना में है और आखिरी वंशज गद्दार निकला" मोहल्ले के लोगों में फुसफुसाहट होने लगी|

उसका पिता सिर झुकाये चुपचाप घर से बाहर निकला| उसकी लाल आँखें और उतरा हुआ चेहरा बता रहा था कि कुछ रातों से वह सोया नहीं है|

"देश के लोगों के खून के साथ होली खेलनी थी ना, तो आज होली के दिन ही लाये हैं" दूसरा सैनिक तल्खी से बोला|

"अब इस पर हस्ताक्षर…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 19, 2016 at 10:30pm — 5 Comments

प्रतिशोध (लघुकथा)

शाम का धुंधलका फ़ैल रहा था, वह गाड़ी में पीछे बैठी थी, रोज़ की तरह रास्ते में वही मकान आने वाला था,  उसका दिल घबराना शुरू हो गया,  उसने अपना एक हाथ दूसरे हाथ से थाम लिया और मन ही मन बुदबुदाने लगी, "ये भेड़िये क्यों अँधेरी रातें खत्म नहीं होने देते?"

 

उसने आँखें बंद करने को सोचा ही था कि वो मकान आ ही गया और गाड़ी उस मकान को पार करने लगी, आज उसकी आँखों ने बंद होने से इनकार कर दिया|

 

उसने देखा मकान के मुख्य द्वार पर उसके शिक्षक के नाम की तख्ती थी, जिससे वो पढने जाती थी,…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 17, 2016 at 4:30pm — 6 Comments

विभक्त चिड़िया (लघुकथा)

नीलामी में चित्र उस व्यक्ति ने खरीद ही लिया, उस चित्र का सौन्दर्य ही कुछ ऐसा था कि उसकी नीलामी में देश के कई बड़े नेता, उद्योगपति, शिक्षाविद, कलाकार, लेखक और बुद्धिजीवी आये थे|

उसने धन देकर चित्र हाथ में लिया और देखा| एक हरे-भरे बगीचे की आकृति देश के मानचित्र के समान थी, बगीचे में एक हाथ में पुस्तक लिए कुछ शिक्षाविद थे, एक हाथ में सफ़ेद झंडे फहराते कुछ बच्चे थे, कुछ उद्योग थे जिनकी गगनचुम्बी चिमनियाँ थी, कुछ धनवान धन बाँट रहे थे, आकाश में सूर्योदय के केसरिया-नारंगी रंग की छटा बिखरी हुई…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 15, 2016 at 9:30am — 1 Comment

उम्मीद (लघुकथा)

उसकी बेटी से छेड़खानी कर रहे तीन उपद्रवियों से अकेले ही लड़ा था वो, इस मुठभेड़ में उस पर दो बार चाकू के वार हुए, लेकिन घायल होने के बावजूद भी वो पूरी शक्ति से लड़ा और अंततः उन बदमाशों को भगा ही दिया| उसकी बेटी एक नर्स थी, वो उसे तुरंत उसी चिकित्सालय में लेकर गयी, जहाँ वो काम करती थी| रास्ते भर वो मुस्कुराता रहा और बेटी को दिलासा देता रहा| चिकित्सालय में उसके घावों पर मरहम-पट्टी की गयी| चिकित्सक ने दवा और एक इंजेक्शन भी लिख दिया| इंजेक्शन उसी की बेटी ने लगाया, इंजेक्शन लगते ही वो चिल्लाया, "उफ़...…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 7, 2016 at 8:00pm — 6 Comments

भय (लघुकथा)

"कल आपका बेटा परीक्षा में नकल करते हुए पकड़ा गया है, यह आखिरी चेतावनी है, अब भी नहीं सुधरा तो स्कूल से निकाल देंगे|" सवेरे-सवेरे विद्यालय में बुलाकर प्राचार्य द्वारा कहे गए शब्द उसके मस्तिष्क में हथौड़े की तरह बज रहे थे| वो क्रोध से लाल हो रहा था, और उसके हाथ स्वतः ही मोटरसाइकिल की गति बढा रहे थे|

"मेरी मेहनत का यह सिला दिया उसने, कितना कहता हूँ कि पढ़ ले, लेकिन वो है कि.... आज तो पराकाष्ठा हो गयी है, रोज़ तो उसे केवल थप्पड़ ही पड़ते हैं, लेकिन आज जूते ही....|" यही सोचते हुए वो घर पहुँच…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 6, 2016 at 10:00pm — 5 Comments

अंतिम श्रृंगार (लघुकथा)

उसकी दाढ़ी बनाई गयी, नहलाया गया और नये कपडे पहना कर बेड़ियों में जकड़ लिया गया| जेलर उसके पास आया और पूछा, "तुम्हारी फांसी का वक्त हो गया है, कोई आखिरी इच्छा हो तो बताओ|"

उसका चेहरा तमतमा उठा और वो बोला, "इच्छा तो एक ही है-आज़ादी| शर्म आती है तुम जैसे हिन्दुस्तानियों पर, जिनके दिलों में यह इच्छा नहीं जागी|"

वो क्षण भर को रुका फिर कहा, “मेरी यह इच्छा पूरी कर दे, मैं इशारा करूँ, तभी मुझे फाँसी देना और मरने के ठीक बाद मुझे इस मिट्टी में फैंक देना फिर फंदा…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 4, 2016 at 7:30am — 11 Comments

अपशकुनी (लघुकथा)

आज शर्मा जी के घर में बहुत हलचल थी, कई रिश्तेदार भी मिलने आये हुए थे| शर्मा जी रिटायर होने के बाद, अपनी पत्नी के साथ छह महीने की तीर्थयात्रा पर जा रहे थे| उनके दोनों बेटे और बहुएँ भी बहुत खुश थे| बेटे इसलिए कि अपनी कमाई से अपने माता-पिता को तीर्थ करवा रहे हैं और बहुएँ इसलिए कि अगले छह महीने वो घर की रानियाँ बन कर रहेंगी|

 

पूजा-पाठ कर प्रसाद हाथ में लिए दोनों पति-पत्नी ने जैसे ही घर के बाहर कदम रखा, बाहर खड़ी एक बिल्ली उनका रास्ता काट गयी| एक बेटे ने उस बिल्ली को हाथ से भगाते…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 1, 2016 at 4:30pm — 6 Comments

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