(1)
मत अपना कर्तव्य है , मत अपना अधिकार
एक - एक मत से बनें , मनचाही सरकार
मनचाही सरकार , चुनें प्रत्याशी मन का
मन जिसका निष्पाप, चहेता हो जन-जन का
क्षणिक लाभ का लोभ, मिटा देता हर सपना
हो कर हम निर्भीक , हमेशा दें मत अपना ||
(2)
झूठे निर्लज लालची , भ्रष्ट और मक्कार
क्या दे सकते हैं कभी, एक भली सरकार
एक भली सरकार, चाहिए - उत्तम चुनिए
हो कितना भी शोर,बात मन की ही सुनिए
मन के निर्णय अरुण , हमेशा रहें अनूठे …
Added by अरुण कुमार निगम on April 23, 2014 at 9:00am — 15 Comments
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