Added by sanjiv verma 'salil' on April 26, 2011 at 2:00pm — 1 Comment
Added by sanjiv verma 'salil' on April 19, 2011 at 8:30am — No Comments
Added by sanjiv verma 'salil' on April 19, 2011 at 8:25am — No Comments
कुछ द्विपदियाँ :
संजीव 'सलिल'
वक्-संगति में भी तनिक, गरिमा सके न त्याग.
राजहंस पहचान लें, 'सलिल' आप ही आप..
*
चाहे कोयल-नीड़ में, निज अंडे दे काग.
शिशु न मधुर स्वर बोलता, गए कर्कश राग..
*
रहें गृहस्थों बीच पर, अपना सके न भोग.
रामदेव बाबा 'सलिल', नित करते हैं योग..
*
मैकदे में बैठकर, प्याले पे प्याले पी गये.
'सलिल' फिर भी होश में रह, हाय! हम तो जी गए..
*
खूब आरक्षण दिया है, खूब बाँटी…
ContinueAdded by sanjiv verma 'salil' on April 16, 2011 at 10:15pm — 3 Comments
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