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Sanjiv verma 'salil''s Blog – April 2011 Archive (4)

मुक्तिका : माँ _संजीव 'सलिल'

मुक्तिका "माँ"

संजीव 'सलिल'

*

बेटों के दिल पर है माँ का राज अभी तक.

माँ के आशिष का है सिर पर ताज अभी तक..



प्रभू दयालु हों इसी तरह हर एक बेटे पर

श्री वास्तव में माँ है, है अंदाज़ अभी तक..



बेटे जो स्वर-सरगम जीवन भर गुंजाते.

सत्य कहूँ माँ ही है उसका साज अभी तक..



बेटे के बिन माँ का कोई काम न रुकता.

माँ बिन बेटों का रुकता हर काज अभी तक..



नहीं रही माँ जैसे ही बेटा सुनता है.

बेटे के दिल पर गिरती है गाज अभी तक..…

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Added by sanjiv verma 'salil' on April 26, 2011 at 2:00pm — 1 Comment

षटपदियाँ : संजीव 'सलिल'

षटपदियाँ :

संजीव 'सलिल'

*
इनके छंद विधान में अंतर को देखें. प्रथम अमृत ध्वनि है, शेष कुण्डलिनी
*
भारत के गुण गाइए, मतभेदों को भूल.
फूलों सम मुस्काइये, तज भेदों के शूल..
तज भेदों के, शूल अनवरत, रहें सृजनरत.
मिलें अंगुलिका, बनें मुष्टिका, दुश्मन गारत..
तरसें लेनें. जन्म देवता, विमल विनयरत.
'सलिल' पखारे, पग नित पूजे, माता भारत..
*
कंप्यूटर कलिकाल का, यंत्र बहुत…
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Added by sanjiv verma 'salil' on April 19, 2011 at 8:30am — No Comments

एक मुक्तक: संजीव 'सलिल' *

एक मुक्तक:
संजीव 'सलिल'
*
हार मिलीं अनगिन मैंने जयहार समझ उनको पहना.
जग-जीवन ने अपमान दिया मैंने मना उसको गहना..
प्रभु से माँगा 'जो जब देना, मुझको सिखला देना सहना-
आखिर में साँसों-आसों की चादर को सीख सकूँ तहना..

Added by sanjiv verma 'salil' on April 19, 2011 at 8:25am — No Comments

कुछ द्विपदियाँ : संजीव 'सलिल'

कुछ द्विपदियाँ :

संजीव 'सलिल'

वक्-संगति में भी तनिक, गरिमा सके न त्याग.

राजहंस पहचान लें, 'सलिल' आप ही आप..

*

चाहे कोयल-नीड़ में, निज अंडे दे काग.

शिशु न मधुर स्वर बोलता, गए कर्कश राग..

*

रहें गृहस्थों बीच पर, अपना सके न भोग.

रामदेव बाबा 'सलिल', नित करते हैं योग..

*

मैकदे में बैठकर, प्याले पे प्याले पी गये.

'सलिल' फिर भी होश में रह, हाय! हम तो जी गए..

*

खूब आरक्षण दिया है, खूब बाँटी…

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Added by sanjiv verma 'salil' on April 16, 2011 at 10:15pm — 3 Comments

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