22/22/22/22 (सभी संभावित कॉम्बिनेशन्स)
ज़ुल्फों को जंजीर लिखेगा,
तो कैसे तकदीर लिखेगा.
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जंग पे जाता हुआ सिपाही,
हुस्न नहीं शमशीर लिखेगा.
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राज सभा में मर्द थे कितने,
पांचाली का चीर लिखेगा.
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ईमां आज बिका है उसका,
अब वो छाछ को खीर लिखेगा.
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कोई राँझा अपनें खूँ से,
जब भी लिखेगा, हीर लिखेगा.
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शेर कहे हैं जिसने कुल दो,
वो भी खुद को मीर लिखेगा.
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नहीं जलेगा वो ख़त तुझसे,
जो आँखों का…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 29, 2015 at 9:04am — 24 Comments
कोई झील बे-चैन सी,
कोई प्यास बे-खुद सी,
कोई शोखी बे-नज़ीर सी,
तेरी आँखों के और कितने नाम है.....
कोई ख़्याल बे-शक्ल सा,
कोई सितारा बे-नूर सा,
कोई बादल बे-आब सा,
मेरे अरमानों के और कितने नाम है.....
कोई रात बे-पर्दा सी,
कोई बिजली बे-तरतीब सी,
कोई अंगडाई बे-करार सी,
तेरी अदाओं के और कितने नाम है ....
कोई पत्थर बे-दाम सा,
कोई झरना बे-ताब सा,
कोई मुसाफिर बे-घर…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on April 28, 2015 at 9:08am — 27 Comments
चाँद,
फ़क़त तुम्हारा नहीं,
मेरा भी है.
इसलिए नहीं की मै,
उसे निहारता हूँ,
किसी रेतीले किनारे से
या इंतज़ार करता हूँ,
ईद के चाँद…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on April 26, 2015 at 12:30pm — 24 Comments
२१२२/१२१२/२२ (सभी संभावित कॉम्बिनेशन्स)
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ज़िन्दगी हाल का सफ़र न हुई
जैसे इक रात की सहर न हुई.
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तेरी जानिब मैं देखता ही रहा
मेरी जानिब तेरी नज़र न हुई.
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फ़ायदा क्या हुआ ग़ज़ल होकर
तर्जुमानी तेरी अगर न हुई.
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पहले पहले हया का पर्दा रहा
फिर ज़रा भी अगर मगर न हुई .
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दिल की मिट्टी पे पड़ गयी मिट्टी
याद तेरी इधर उधर न हुई.
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ख़ुद को भूला तुझे भुलाने में
कोई तरकीब कारगर न हुई.
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‘नूर’ बिखरा…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2015 at 4:00pm — 29 Comments
२१२२/१२१२/२२ (सभी संभावित कॉम्बिनेशन्स)
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तुम तो सचमुच सराब हो बैठे.
यानी आँखों का ख़्वाब हो बैठे
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साथ सच का दिया गुनाह किया
ख्वाहमखाह हम ख़राब हो बैठे.
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फ़िक्र को चाटने लगी दीमक
हम पुरानी क़िताब हो बैठे.
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उनकी नज़रों में थे गुहर की तरह
गिर गए!!! हम भी आब हो बैठे.
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अब हवाओं का कोई खौफ़ नहीं
कुछ चिराग़ आफ़्ताब हो बैठे.
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ऐरे ग़ैरों के…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 19, 2015 at 12:18pm — 26 Comments
१२२२/ १२२२ / १२२
न जानें क्या से क्या जोड़ा करेंगे
तुम्हारे ग़म में दिल थोडा करेंगे.
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तुम्हारे साथ हम पीते रहे हैं
तुम्हारी नाम की छोड़ा करेंगे.
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तुम्हारी आँख का हर एक आँसू
हम अपनी आँख में मोड़ा करेंगे.
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घरौंदे रेत के क्यूँ ग़ैर तोड़े
बनाएंगे, हमीं तोडा करेंगे.
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नपेंगे आज सारे चाँद तारे
हम अपनी फ़िक्र को घोडा करेंगे.
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ख़ुदा को…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 18, 2015 at 11:12am — 14 Comments
२२२२/२२२२/२२२
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आँखों को सपनीला होते देखा है
ख़्वाबों को रंगीला होते देखा है.
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क़िस्मत ने भी खेल अजब दिखलाए हैं
पत्थर भी चमकीला होते देखा है.
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सादापन ही कौम की थी पहचान जहाँ
पहनावा भड़कीला होते देखा है.
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मुफ़्त में ये तहज़ीब नहीं हमनें पायी
शहरों को भी टीला होते देखा है.
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कुर्सी की ताक़त है जाने कुछ ऐसी
बूढा, छैल-छबीला होते देखा है.
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आज…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 17, 2015 at 2:50pm — 17 Comments
२१२२/२१२२
आँख से उतरा नहीं है
बस!! कोई रिश्ता नहीं है.
हम पुराने हो चले हैं
आईना रूठा नहीं है.
मुस्कुराहट भी पहन ली
ग़म मगर छुपता नहीं है.
साथ ख़ुशबू है तुम्हारी …
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 16, 2015 at 10:42pm — 20 Comments
१२१२/ ११२२/ १२१२/ २२ (सभी संभव कॉम्बिनेशन्स)
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हमें न ऐसे सताओ ख़ुदा का ख़ौफ़ करो
ज़रा क़रीब तो आओ ख़ुदा का ख़ौफ़ करो. …
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 2, 2015 at 2:00pm — 26 Comments
गागा लगा लगा लल गागा लगा लगा
रुसवाइयों से रोज़ मुलाक़ात काटिये
जबतक है जान जिस्म में, दिनरात काटिये.
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है आप में अना तो अना मुझ में भी है कुछ
यूँ बात बात पे न मेरी बात काटिये.
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ये कामयाबियों के सफ़र के पड़ाव हैं
अय्यारियाँ भी सीखिए जज़्बात काटिये.
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अगली फसल कटे तो करें इंतज़ाम कुछ
तब तक टपकती छत में ही बरसात काटिये.
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ये इल्तिज़ा है आपसे इस मुल्क के…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 1, 2015 at 7:57am — 28 Comments
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