[1]
रूप मनभावन है मंद मंद मुस्कराये
नन्हें नन्हें पाँव लिए दौड़ी चली आती है
बार बार सहलाती अपने कपोल वह
छोटी छोटी गोल गोल आँखें मटकाती है
अम्मा पहना के जब पायल संवारती हैं
दौड़ती तो झनक झनक झंझनाती है
कायल है दादा दादी नाना नानी सभी अब
ठुमक ठुमक कर खूब इतराती है ॥
[2]
दादी अम्मा भोजन कराएं तो सताती वह
आगे आगे भागे पीछे अम्मा को छकाती है
कापी छीन लेती लेखनी वो तोड़ देती भाई
को है वो…
ContinueAdded by annapurna bajpai on April 21, 2014 at 8:30pm — 14 Comments
फागुन बीता देखिये ,खिली चैत की धूप
सर्दी की मस्ती गई, झुलस रहा है रूप
झुलस रहा है रूप ,सुहाती है वैशाखी
धरती तपती खूब ,करे क्या मनुवा पाखी
होते सब बीमार ,बढ़ी मच्छर की भुन भुन ।
आगे जेठ अषाढ़ , कहाँ अब भीगा फागुन ॥..
अप्रकाशित एवं मौलिक
Added by annapurna bajpai on April 15, 2014 at 9:20pm — 8 Comments
नन्ही गुड़िया चंचला ,खेले दौड़े खूब ।
नन्हे नन्हे पाँव हैं ,मनभावन है रूप ॥
मनभावन है रूप , तोतली बातें करती ।
बात बात मुस्कात ,सभी के मन को हरती॥
करे सभी से प्यार ,हमारी प्यारी मुन्नी ।
सभी लड़ाते लाड़, मोहिनी गुड़िया नन्ही ।।
अप्रकाशित एवं मौलिक
Added by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 12:00pm — 14 Comments
रमीला ने बगल मे बैठी अपनी पड़ोसन से कहा , "तुम्हें पता है खन्ना साहब के बेटे के साथ अल्का की बेटी का चक्कर चल रहा है और तो और कई बार वह रातों को भी घर नहीं आती , मैडम कहती है कि लेट नाइट स्टडीज़ के चलते वह हास्टल मे ही रुक जाती है , बेटी ने कालेज मे ही हास्टल ले रखा है । अरे यहाँ तो किसी को ये जानने की भी फुर्सत नहीं है कि बेटी कहाँ जाती है । "
रमीला ने आगे कहा," और आज जिस खुशी मे पूजा रखवाई है बेटे की नौकरी के लिए , वह पता है मेरे पति ने सिफ़ारिश करके लगवाई है वरना इनका बेटा तो…
ContinueAdded by annapurna bajpai on April 3, 2014 at 6:30pm — 22 Comments
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