Added by शिज्जु "शकूर" on April 28, 2017 at 5:26pm — 22 Comments
2122 1122 1122 22/112
कितने अच्छे थे मेरा ऐब बताने वाले
वो मेरे दोस्त मुझे रस्ता दिखाने वाले
वक्त ने, काश! उन्हें रुकने दिया होता ज़रा
साथ ही छोड़ गए साथ निभाने वाले
मुफ़लिसी मक्र की छाई है सियाही अब भी
पर बताओ हैं कहाँ शम्अ जलाने वाले
अपने क़ातिल से शिकायत नहीं कोई मुझको
कर गए ग़र्क मेरी कश्ती, बचाने वाले
खूब तासीर नज़र आई मुहब्बत की यूँ
रो पड़े जाँ को मेरी फ़ैज़ उठाने वाले
एकता टूटने पाए न कभी, मसनद पर
आके बैठे…
Added by शिज्जु "शकूर" on April 25, 2017 at 11:30am — 19 Comments
Added by शिज्जु "शकूर" on April 12, 2017 at 7:44pm — 8 Comments
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