माधुर्य
(वाणी का माधुर्य)
वाणी का माधुर्य-
देता है जीवन को विस्तार
जहाँ प्रेम है
वहां लेन-देन नहीं है
देना ही देना है
कोई व्यापार नहीं है |
.…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 27, 2012 at 4:00pm — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 16, 2012 at 10:08am — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 12, 2012 at 7:00pm — 5 Comments
मुझे सुनाई दी, बोली
मुझसे मेरी आत्मा बोली
पढ़ले पहले तू वेद, पुराण
या कुरान कलमां|
मै बैठा हूँ –
गिरजाघर और मंदिरों में,
मिल जाएँगी परछाई-
गुरुद्वारों औ मस्जिदों में:
कण कण में, ख्वाईशो में,
इश्क की फरमाईशो मे
प्यार दिल से करों तो –
मै मिलूंगा सोहणी-महिवाल में
सच मानो मै मिलूँगा –
हीर-राँझा…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 10, 2012 at 11:30am — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2012 at 12:28pm — 5 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2012 at 10:52am — 5 Comments
बंजारा लोगो की कैसी भी हो किस्मत
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2012 at 10:30pm — 4 Comments
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