देखने में आ रही है गर्मियों में सर्दियाँ
मौसमों की दोस्ती हैं गर्मियों में सर्दियाँ
आम पर खामोश बैठी,झुरमटों से देखती
कोयलें कुछ सोचती हैं गर्मियों में सर्दियाँ
आओ चिंता सब करें अपने किसानों के लिये
क्यों फसल को लूटती हैं गर्मियों में सर्दिया
बादलों के साथ ओले ले, हवायें आ गई
देखो कितनी साहसी है गर्मियों में सर्दिया।।
मौलिक व अप्रकाशित
Added by सूबे सिंह सुजान on April 17, 2015 at 9:30pm — 4 Comments
बदलने को बदल जाना, मगर तहजीब जिंदा रख
हवा के साथ ढल जाना, मगर तहजीब जिंदा रख
यहाँ रंगीन होती रोशनी है कौंधने वाली
खुशी के साथ जल जाना, मगर तहजीब जिंदा रख
हमारे आम पर यह कूकती कोयल बताती है
नये मौसम मचल जाना, मगर तहजीब जिंदा रख
हमारे नौजवानों की नई पीढी, नये रिश्ते
नशे में खुद को छल जाना मगर तहजीब जिंदा रख
महब्बत के लिये तो लाख पापड बेलने होंगे
महब्बत में उछल जाना मगर तहजीब जिंदा रख
बदलना भी जमाने का बडा हैरान करता है
बहुत आगे निकल जाना…
Added by सूबे सिंह सुजान on April 15, 2015 at 10:30pm — 10 Comments
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