For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Umesh katara's Blog – April 2014 Archive (3)

कविता--मैं आज भी खडा हूँ उसी मोड़ पर

कभी जिस जगह हम मिले थे

जहाँ फूल मुहब्बत के खिले थे

मैं आज भी खड़ा हूँ उसी मोड़ पर

जहाँ तुम गये थे मुझे छोडकर

हँसी से कोई ऱिश्ता नहीं है

खुशी से दूर तक वास्ता नहीं है

जमाने की कितनी परवाह थी मुझे

अब जमाने की भी कोई परवाह नहीं है

गुजरते हैं लोग इस चौरेहे से

तेरी चर्चा करते हुये

मैंने बहुत को देखा है 

तेरे लिये आह भरते हुये

लेकिन उनकी आह भरने पर

मुझे तरस जरूर आता है

किआज भी हर कोई शख्स

तुझे…

Continue

Added by umesh katara on April 29, 2014 at 8:05am — 15 Comments

फसाना खत्म है मेरा मगर कुछ याद बाकी हैं

पलक पर अश्क मत लाओ मेरे जो बाद बाकी है

फ़साना खत्म है मेरा मगर कुछ याद बाकी हैं

मेरा चर्चा करेंगे लोग महफिल में के जश्नों में

समझलेना दिवाने आज भी आबाद बाकी हैं

हजारों मिन्नतें करलीं खुदा के वास्ते उनसे

रहीं कुछ हसरतें बाकी फकत फरियाद बाकी हैं

मेरे कातिल मेरे दुश्मन जरा कुछ हौंसला रखना

बचाने को मेरी खातिर के कुछ इमदाद बाकी हैं

अ़मन के दुश्मनों से भी जरा कहदो जहाँ वालो

अभी तक आज तक इस देश में आजाद…

Continue

Added by umesh katara on April 20, 2014 at 7:26pm — 17 Comments

मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम

मेरी धडकन में हो तुम ही,मेरी आबाज भी हो तुम

मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम 

यहाँ है अब तलक चर्चा हमारी ही मुहब्बत का

मगर मत भूल जाना तुम ,मेरे हमराज भी हो तुम

तुम्हारे ही निशाने पर रहा हूँ मैं हमेशा ही

कभी लगता है क्यों मुझको निशानेबाज भी हो तुम

कभी पल भर मैं ठहरा था, तेरी जुल्फों के साये मे

मुझे अहसास है अब तक ,मेरे सरताज भी हो तुम

गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं

नहीं फिर…

Continue

Added by umesh katara on April 17, 2014 at 8:12am — 14 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service