कभी जिस जगह हम मिले थे
जहाँ फूल मुहब्बत के खिले थे
मैं आज भी खड़ा हूँ उसी मोड़ पर
जहाँ तुम गये थे मुझे छोडकर
हँसी से कोई ऱिश्ता नहीं है
खुशी से दूर तक वास्ता नहीं है
जमाने की कितनी परवाह थी मुझे
अब जमाने की भी कोई परवाह नहीं है
गुजरते हैं लोग इस चौरेहे से
तेरी चर्चा करते हुये
मैंने बहुत को देखा है
तेरे लिये आह भरते हुये
लेकिन उनकी आह भरने पर
मुझे तरस जरूर आता है
किआज भी हर कोई शख्स
तुझे…
ContinueAdded by umesh katara on April 29, 2014 at 8:05am — 15 Comments
पलक पर अश्क मत लाओ मेरे जो बाद बाकी है
फ़साना खत्म है मेरा मगर कुछ याद बाकी हैं
मेरा चर्चा करेंगे लोग महफिल में के जश्नों में
समझलेना दिवाने आज भी आबाद बाकी हैं
हजारों मिन्नतें करलीं खुदा के वास्ते उनसे
रहीं कुछ हसरतें बाकी फकत फरियाद बाकी हैं
मेरे कातिल मेरे दुश्मन जरा कुछ हौंसला रखना
बचाने को मेरी खातिर के कुछ इमदाद बाकी हैं
अ़मन के दुश्मनों से भी जरा कहदो जहाँ वालो
अभी तक आज तक इस देश में आजाद…
ContinueAdded by umesh katara on April 20, 2014 at 7:26pm — 17 Comments
मेरी धडकन में हो तुम ही,मेरी आबाज भी हो तुम
मेरी साँसों में तुम ही हो,मेरा अन्दाज भी हो तुम
यहाँ है अब तलक चर्चा हमारी ही मुहब्बत का
मगर मत भूल जाना तुम ,मेरे हमराज भी हो तुम
तुम्हारे ही निशाने पर रहा हूँ मैं हमेशा ही
कभी लगता है क्यों मुझको निशानेबाज भी हो तुम
कभी पल भर मैं ठहरा था, तेरी जुल्फों के साये मे
मुझे अहसास है अब तक ,मेरे सरताज भी हो तुम
गये लम्हों की कहकर थे ,कई अरसे गुजारे हैं
नहीं फिर…
ContinueAdded by umesh katara on April 17, 2014 at 8:12am — 14 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |